व्यंजन वर्ण को अंग्रेजी में consonent कहते हैं। हिंदी भाषा में व्यंजन की संख्या 33 होती है। लेकिन 2 द्विगुण और 4 संयुक्त व्यंजन के आ जाने से कुल संख्या 39 हो जाती है।

विषय - सूची
व्यंजन वर्णमाला की परिभाषा
जो ध्वनियाँ स्वरों की सहायता से बोली जाती है, उन्हें व्यंजन कहते है।
व्यंजन के प्रकार
यह मुख्यतः 3 प्रकार का होता है
- स्पर्स – 25
- अंतःस्वर – 4
- उष्म – 4
1. स्पर्स व्यंजन – Mutes
स्पर्स व्यन्जन वर्ण कंठ, तालू, मूर्धा, दंत तथा ओष्ठम के स्पर्स से बोले जाते हैं। इनकी संख्या 25 होती है, ये निम्नलिखित “क से म” तक के वर्ण होते है।
- कंठ वर्ण – क, ख, ग, घ, ङ
- तालव्य वर्ण – च, छ, ज, झ, ञ
- मूर्धा वर्ण – ट, ठ, ड, ढ, ण
- दंतय वर्ण – त, थ, द, ध, न
- ओष्ठम वर्ण – प, फ, ब, भ, म
च वर्ण को संघर्ष स्पर्शी वर्ण भी माना जाता है।
2. अन्तःस्वर व्यंजन – Semi Vowels
इसे अर्धस्वर भी कहा जाता है। ये स्वर और व्यंजन के मध्य में स्थित होते है। इनके उच्चारण में जिह्वा का पूरा स्पर्स मुख के किसी भी भाग में नही होता है। ये क्रमशः य, र, ल, व होते हैं।
र – प्रकम्पी ध्वनी, लुठित ध्वनी : इसके उच्चारण में जिह्वा मुड़ जाती है। फिर स्वर में कम्पन होता है।
ल – पार्सीव ध्वनी : इसके उच्चारण में जीभ तालू को स्पर्स करता है, परन्तु बगल से हवा गुजरता है।
3. उष्म वर्ण व्यंजन – Sibilants
इसके उच्चारण में वायु के रगड़ से ऊष्मा उत्पन्न होता है। इसे संघर्षी प्रयत्न भी कहते हैं। ये क्रमशः श, ष, स, ह होते हैं।
अन्य व्यन्जन के प्रकार
अन्य व्यन्जन के प्रकार
- संयुक्त : क्ष (क्+ष), त्र (त्+र), ज्ञ (ज्+ञ), श्र (श्+र)
- द्विगुण या उत्क्षिप्त : ( ड़, ढ़ ) – इसका उच्चारण करते समय जिह्वा का अग्र भाग ऊपर उठकर झटके से फेंका जाता है।
- अघोष
- सघोष
- अल्पप्राण
- महाप्राण
पढ़ने के लिए धन्यवाद ! कोई समस्या हो तो, कमेंट करके बताएं, हम जल्द से जल्द जवाब देंगे।
meri hindi achchhi hai par mujhe bhi nahi maloom tha,esiliye kaha hai sarva sarva na janani bhasha ki vyakaran hi usaki asali samajh hai