हमारे आस-पास हर जगह गैस मौजूद है। हम इसे अपने नंगी आंखो से देख नही सकते। गैस का मानव जीवन मे बहुत इस्तेमाल है। हम गैस सांस मे ऑक्सीजन के रूप मे लेते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड के रूप मे छोड़ते हैं।
हम बचपन मे गुब्बारे को मुँह से फुक मारकर फूलते थे। हमारे मुँह से गुब्बारे को फुलाने के लिए जो हवा निकलती है उसे भी गैस कहते है। हर एक इंसान और जानवर पादते (fart यानी free gas करते है) हैं। ये पाद भी गैस ही होता है। ऐसे बहुत से ऐसे उदाहरण है जो रोज हमारे आस पास देखने को मिल सकती है, जिसमे गैस की मौजूदगी होती ही है।
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गैस की परिभाषा – What is Gas ?
द्रव्य की वह अवस्था जिसका कोई निश्चित आकार और आयतन नही होता है, उसे गैस कहते है।
गैस के परमाणु ठोस और द्रव के मुक़ाबले बहुत ही ज़्यादा दूर दूर और अनियमित रूप से जुड़े हुये होते हैं। गैस के परमाणु किसी भी दिशा मे तेजी से चल सकते हैं।
गैस को जैसी भी बर्तन मे रखेंगे वो वैसा आकार ले लेता है। गैस हमेशा अधिक दबाव वाले क्षेत्र से कम दबाव वाले क्षेत्र मे चला जाता है।
गैस के उदाहरण
हमारे दैनिक जीवन मे गैस के बहुत सारे उदाहरण देखने को मिलते है। जैसे –
- हवा मे तरह तरह की प्राकृतिक तत्व मिले हुये होते है। जैसे – ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाई ऑक्साइड इत्यादि। ये सब गैस होते हैं।
- धुआँ – चूल्हे, फैक्ट्री की चिमनी, भट्ठा आदि से से निकलने वाली धुआँ।
- गाड़ियो के टायरों मे भरा हुआ हवा।
- HP, Bharat, Indian आदि gas suppliers द्वारा ली गयी गैस सिलेंडर्स मे भरी हुई गैस।
- पाद यानी fart।
- पानी की तापमान को जब बढ़ाते है यानी गर्म करते है तो वो वाष्प मे बदलने लगता है। इस वाष्प को भी गॅस कहते हैं।
- कार्बन मोनो ऑक्साइड।
- आदि।
गैस के प्रकार
ये मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं, प्राकृतिक और कृतिम गॅस।
- प्राकृतिक गॅस : ये दो वर्गों मे बाँटा गया है – तात्विक और यौगिक गॅस। ये प्रकृति मे पाये जाने वाले तत्व है।
- कृत्रिम गॅस– जो की इंसान द्वारा रासायनिक अभिक्रिया से बनाए जाते हैं।
GAS के सही और गलत तथ्य
प्रकृति मे पाये जाने वाले बहुत से ऐसे गॅस होते हैं, जो जहरीले और ज्वलनशील होते हैं। हालाँकि वो ज़मीन के बहुत ही अंदर या फिर आसमान मे इन्सानो के पहुच से बहुत दूर पाये जाते हैं। जब तक हम इन प्राकृतिक चीज़ों से छेड़छाड़ नहीं करते हैं। तब तक उनसे हमे कोई नुकसान नही हो सकता है।
इंसान अपने फायदे के लिए कोयले को ज़मीन खोदकर निकालता है। उसमे पाये जाने वाले मेथेन गॅस, जो की हवा मे संपर्क मे आते ही धधकते हुये आग के गोला का रूप ले लेता है। और कार्बन मोनो ऑक्साइड गॅस, जिसका मात्र 0.1 प्रतिशत मात्रा इंसान के प्राण को कुछ मिनटों मे निकालने के लिए काफी है।
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