आईना या दर्पण दोनों एक ही है। जिसका उपयोग हम अपने आप के प्रतिबिम्ब को देखने के लिए करते है। जैसे की अपने सौंदर्य को देखने के लिए या अन्य वस्तुओं को भी देखने के लिए उपयोग किया जाता है। कभी कभी तो हम सोच में पड़ जाते है की हम दर्पण के अंदर है या बाहर। क्या आप के भी मन में यह विचार आया है ?
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दर्पण क्या है
काँच के एक तरफ लेप लगा हो व दूसरे तरफ चमकदार दिखता हो उसे हम दर्पण कहते है। जिसमे हम किसी की भी छवि को देख सकते है। mirror एक प्रकाश युक्ति है जो प्रकाश के परावर्तन के आधार पर कार्य करती है।
क्या आपने कभी गौर किया है ? जब हम सभी mirror में देखते है तो उसमे हमारी छवि उल्टी दिखाई देती है। जैसे लगता है हमारे जैसा कोई mirror के अंदर है। हम अपना बाया हाथ उठाते है तो आइने में दाया उठता है। लेकिन क्यों ऐसा होता है? आइये विस्तार से इसके बारे में जानते है।
आईना या दर्पण के प्रकार
Mirror का काम तो किसी की छवि देखने के लिये उपयोग करते है। लेकिन मुख्यतः mirror के दो भाग होते है।
(1) समतल – Plane mirror
एक काँच का समतल प्लेट लें, उसमे एक तरफ पॉलिश करे तथा दूसरे तरफ बिना पालिश के ही रहने दे। उसे हम समतल दर्पण कहेगे।
जब mirror में हम वस्तु का कोई भी भाग देखते है, तो वस्तु जितना दूरी पर से mirror में देखेगा ठीक उतना ही आईने के अंदर भी उसकी दूरी दिखेंगी। प्रतिबिंब की स्थति वस्तु और दर्पण पर निर्भर करती है, देखने वाले की स्थिति पर नही।
(2) गोलीय – Spherical mirror
यह mirror काँच के खोखले गोले का भाग होता है जिसका एक तल उभरा तथा दूसरा अंदर की तरफ होता है। गोलीय दर्पण कहलाता है।
गोलीय दर्पण के प्रकार
देखा जाय तो दर्पण को कई तरीको से सजाया जा सकता है। इसका आकार, निर्माण अपने इच्छा अनुसार उपयोग कर सकते है। लेकिन खाश तौर पर गोलीय mirror को दो भाग में बाटा गया है।
(1) अवतल – Concave mirror
गोलीय mirror में जो भाग अंदर की तरफ दबा होता है उसे अवतल दर्पण कहते है।
(2) उत्तल – Convex mirror
गोलीय दर्पण में जो भाग बाहर की तरफ उभरा हुवा होता है उसे उत्तल mirror कहते है।
उत्तल mirror में हमेशा आभासी छवि बनते है। इसमें छवि mirror के अंदर छोटी दिखती है। जैसे आप गाड़ी के सीसे में पीछे से आ रही वाहन को देखते है तो वह छवि वस्तु से छोटी दिखाई देती है।
कैसे आसान तरीके से पहचाने की कौन उत्तल और अवतल दर्पण है ?
तो चलिए आज आसान तरीके के बारे में जानते है, जो आप कभी नही भूल सकते है। तो आइये जानते है इन तरीको के बारे मे।
उत्तल mirror का पहला अच्छर उ है यानी उभरा हुआ भाग उत्तल दर्पण होगा। अर्थात उ से उभरा और उत्तल।
अवतल mirror का पहला अच्छर अ यानी अंदर की तरफ दवा हुआ भाग अवतल दर्पण होगा। अर्थात अ से अन्दर और अवतल।
हम उम्मीद करते है कि अब आप कभी नही भूल पायेगे।
दर्पण का उपयोग
इसका उपयोग हम अपने आप के आकर, रूप और सौन्दर्य देखने के लिए करते है। दर्पणों के प्रकार उत्तल, अवतल, समतल इसका उपयोग वस्तु देखने के लिए करते है। लेकिन किस वस्तु में किस दर्पण का क्या उपयोग है चलिये जानते है।
- अपने छवि को देखने के लिए हमेशा समतल mirror का उपयोग करते है।
- गाड़ियों में पीछे की वस्तु या वाहनों को देखने के लिए उत्तल mirror का उपयोग करते है। जिससे हम अपनी या दूसरे की सुरक्षा कर पाते है। इसमे छवि छोटी दिखती है, लेकिन यह एक प्रकार निगरानी का काम करता है।
- दाढ़ी बनाने वाले सीसे के रूप में समतल mirror का उपयोग करते है।
- नाक, कान, गला वह आन्तरिक अंगों को देखने के लिये डॉक्टर इसका उपयोग करते है।
दर्पणों का पहचान करना
आँखो से देखकर और दुसरा स्पर्श करके दोनो के द्वारा दर्पण को पहचाना जा सकता है।
स्पर्श के द्वारा –
छू कर पहचान करना है तो mirror का परावर्तक तल स्पर्श करेगे जिसका परावर्तक तल समतल होगा वह समतल मिरर होगा।
- जिसका परावर्तक तल अंदर की तरफ दबा होगा वह अवतल दर्पण।
- जिसका तल बाहर की तरफ उभरा हुआ होगा वह उत्तल दर्पण रहेगा।
Mirror देखकर –
आखों से देखकर पहचान करना है तो mirror के सामने कोई भी वस्तु लेकर उसे धीरे धीरे दर्पण के सामने आगे पीछे करें। अगर वस्तु की छवि सीधे वस्तु के समान आकार जैसा दिखे वह समतल दर्पण होगा।
- यदि वस्तु को जैसे जैसे दूर करेगे उस वस्तु की छवि mirror में छोटी दिखने लगेंगी वह उत्तल दर्पण होगा।
- यदि सीधे छवि का आकार बढ़ता है तो वह अवतल mirror होता है।
धन्यवाद !
मेरा नाम गीता मौर्या है। मैं कंप्यूटर बेसिक नॉलेज कोर्स से सर्टिफाइड हूँ। फिलहाल मै बीए कर रही हूँ।
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