सम्राट अकबर अपने दरबार में हर सप्ताह अपनी प्रजा की समस्याओं और परेशानियों को सुनने के लिए शिविर लगाते थे।
राज दरबार के बाहर गेट पर जो दरबान रहता था वह किसी भी व्यक्ति को बिना कुछ पैसे, स्वर्ण या जेवर आदि लिए अंदर नहीं जाने देता था।
वह कहता था कि अगर सम्राट अकबर से मिलना है तो तुम्हें मुझे कुछ देना पड़ेगा। इसी वजह से बहुत से लोग सम्राट अकबर से नहीं मिल पाते थे।
एक दिन की बात है। महेश दास नाम का एक व्यक्ति भी उस दरबान के चपेट में आ गया।
महेश दास ने बोला – भाई मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन मेरा यकीन करो सम्राट ने मुझे खुद बुलाया है।
दरबान किसी की नहीं सुनता था और उस महेश दास की भी उसने नहीं सुना।
फिर महेश दास ने उसे एक अंगूठी दिया और बताया कि यह अंगूठी सम्राट अकबर का है। कुछ दिन पहले उन्होंने मुझे इनाम के तौर पर दिया था।
दरबान उस अंगूठी बहुत ध्यान से देखा और चुपचाप उसे अपने पास रख लिया। फिर महेश दास को बोला कि तुम अंदर जाओगे और सम्राट द्वारा दी गई पूरी इनाम का आधा हिस्सा मुझे देना पड़ेगा।
महेश दास ने कहा – ठीक है! महेश दास अंदर राज दरबार में प्रवेश कर लिया।
अंदर जाने के बाद महेश दास ने देखा की सम्राट अकबर लोगों की परेशानियां और तकलीफ को सुनकर उसका समाधान निकाल रहे हैं।
जिस वक्त महेश दास पहुंचा उस वक्त उन्होंने किसानों की कर्ज माफी कर दी थी। क्योंकि उस साल बारिश नहीं हुआ था।
फिर महेश दास अकबर के समक्ष पेश हुआ।
सम्राट अकबर ने कहा – अपनी परेशानी बताओ, बोलो क्या मांग है तुम्हारी।
महेश दास ने कहा – सम्राट मैं जो चाहूंगा क्या वो मुझे मिलेगा?
सम्राट अकबर ने कहा – यहां पर आया कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं जाता। तुम जो मांगोगे वह जरूर दिया जाएगा।
फिर महेश दास ने कहा – हे महाराज! मुझे मेरे नंगी पीठ पर 50 कोड़े लगाए जाएं।
सम्राट अकबर और उस दरबार के सारे दरबारी लोग इस बात को सुनकर आश्चर्यचकित हो गए। कोई समझ नहीं पा रहा था कि यह व्यक्ति अपनी पीठ पर भला 50 कोड़े क्यों मरवाना चाहता है ?
दरबार के सलाहकार मुल्ला दो प्याजा ने कहा कि भाई जेवर मांग लो, मोहरे मांग लो, कपड़े मांग लो, खाने के लिए अनाज मांग लो… 50 कोड़े क्यों मांग रहे हो?
महेश दास ने जवाब दिया – नहीं ! मुझे अपनी पीठ पर पचास कोड़े ही मरवाने हैं।
सम्राट अकबर कुछ देर सोच में पड़ गए। फिर उन्होंने कहा ठीक है, तुम्हारी ख्वाहिश जरूर पूरी की जाएगी। लेकिन उससे पहले मुझे यह बताओ कि, तुम खुद के साथ इतनी क्रूरता क्यूँ कर रहे हो?
महेश दास ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया – हुजूर मैंने इस दरबार के मुख्य दरबान को वादा किया है कि अंदर जो कुछ भी मुझे इनाम के तौर पर मिलेगा, उसका आधा हिस्सा उसे दूंगा। इसी शर्त पर उसने मुझे अंदर आने दिया।
इसीलिए मैं 50 कोड़े ही खाना चाहता हूं और साथ ही साथ मै यह भी चाहता हूं कि मेरा ये ईनाम, वादे के मुताबिक इस राज्य के दरबान को भी दिया जाए।
महेश दास की इस बात को सुनकर सम्राट अकबर गुस्से में अपने सिंहासन से खड़े हो गए।
उन्होंने सैनिकों को आदेश दिया कि, उस दरबान को हमारे समक्ष पेश किया जाए। सैनिकों ने उस दरबान को सम्राट अकबर के सामने लाकर पेश किये।
महेश दास के बगल में दरबान चुपचाप खड़ा हो गया।
सम्राट अकबर ने बड़े ही मंद स्वर में कहा – दरबान मैंने सुना है कि तुम दरबार की पावंदी बड़े ही मुस्तैदी के साथ करते हो।
दरबान कुछ नहीं बोला।
फिर अकबर ने कहा – तुम्हारी तारीफ़ की जा रही है की तुम दरबार की निगरानी करते वक्त अपना जान और प्राण न्योछावर कर देते हो।
दरबान महेश दास की तरफ देखा और फिर कुछ ना बोला।
अकबर ने फिर कहा – यह व्यक्ति (महेश दास) बोल रहा है कि, तुम्हारी इसी निष्ठा के वजह से अपनी इनाम का आधा हिस्सा तुम्हें देना का वादा किया है। क्या सचमुच में महेश दास ने अपने इनाम का आधा हिस्सा तुम्हें देने के लिए वादा किया है?
इस बार दरबान मुस्कुराया और बोला – जी हुजूर! महेश दास ने वादा किया है।
सम्राट अकबर ने फिर बोला – हे दरबान! तुम्हारे इस निष्ठा की वजह से महेश दास को दी जाने वाली इनाम की राशि का आधा हिस्सा नहीं, बल्कि पूरा हिस्सा तुम्हें दिया जाएगा!
इस बात को सुनकर दरबान खुलकर मुस्कुराया और बोला – सम्राट की जय हो! महाराज अकबर की जय हो! मुझे इनाम कुबूल है महाराज।
महाराजा अकबर ने उस दरबान से पूछा कि क्या तुम यह नहीं जानना चाहोगे की महेश दास ने इनाम में क्या मांगा है?
तब दरबान ने कहा – क्या मांगा है हुजूर?
सम्राट अकबर ने गुस्से भरे स्वर में कहा कि महेश दास ने इनाम के तौर पर अपने नंगे पीठ पर 50 कोड़े लगवाने की मांग की है।
दरबान महाराज अकबर का ज़वाब सुनकर अपना आपा खो दिया और वहीं पर घुटनों के बल गिर के माफी मांगने लगा, गिड़गिड़ाने लगा और कहने लगा महाराज मुझे माफ कर दिया जाए, मुझ पर रहम किया जाए।
सम्राट अकबर फिर गुस्साते हुए बोले – तुझ जैसे रिश्वतखोर पर रहम करना भी पाप है। सौनिकों ले जाओ तथा 50 कोड़े लगाओ फिर कारागार में बंद कर दो।
अकबर महेश दास की इस चतुराई पर बड़े ही प्रसन्न हुए और बोलें – महेश दास तुम्हारी इस बहादुरी की वजह से मैं तुम्हें इस राज दरबार का सदस्य बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहता हूं।
महेश दास कुछ बोले इससे पहले राज दरबार के सलाहकार मुल्ला दो प्याजा बोल पड़ें – महाराज बेशक महेश दास ने बड़े ही सूझबूझ का कार्य किया है। परंतु इसका मतलब यह नहीं हुआ कि इसे राज दरबार का सदस्य बना लिया जाए।
अकबर ने कहा महेश दास बहुत ही चतुर है। मुल्ला दो प्याजा अगर आप चाहें तो इसकी चतुराई का परीक्षा ले सकते हैं।
दो प्याजा ने कहा महाराज ठीक है, मैं इसकी परीक्षा लूंगा। लेकिन अगर महेश दास परीक्षा में विफल रहा तो इसे सजा देनी पड़ेगी।
तब सम्राट अकबर ने कहा ठीक है। परंतु अगर महेश दास तुम्हारी परीक्षा में सफल हुआ, तब?
मुल्ला दो प्याजा ने कहा – अगर महेश दास परीक्षा में सफल हुआ तो मैं हर बार नमाज पढ़ने के दौरान इसका जी हजूरी करूंगा।
अकबर बोलें – ठीक है, अपना प्रश्न करो।
मुल्ला दो प्याजा कुछ देर सोचने के बाद सम्राट अकबर से कहा – महाराज प्रश्न बड़ा ही मुश्किल भरा है।
अकबर कुछ बोलें उससे पहले ही महेश दास बोल पड़ा – आप अपना प्रश्न कीजिए।
सलाहकार मुल्ला दो प्याजा ने प्रश्न किया कि, बताओ मैं इस वक्त अपने दिमाग मे क्या सोच रहा हूँ।
सभी लोग बड़े ही आश्चर्य चकित हो गए कि भला कोई यह कैसे बता सकता है कि किसी के दिमाग में क्या चल रहा है।
अकबर भी बड़े चकित मे पड़ गए।।
महेश दास कुछ देर सोचते रह गया और फिर बोला – मुल्ला दो प्याजा जी के दिमाग में इस वक्त खुदा से दुआ चल रहा है कि हमारे सम्राट राजा अकबर हमेशा सलामत रहें, आपका दिमाग दिन-प्रतिदिन तेज हो, आपकी बरकत बनी रहे, आप हमेशा सुखी रहे, निरोगी रहें।
यही बात मुल्ला दो प्याजा जी के दिमाग में चल रहा है।
मुल्ला जी एकदम से भौचक्के हो गए।
सम्राट अकबर मुल्ला जी से इस उत्तर के बारे मे पूछें की क्या ये ज़वाब सही है ?
भला दो प्याजा जी इस जवाब को गलत भी तो नहीं कर सकता थे। क्यूँकि अगर वह मना करें तू कहीं न कहीं सम्राट अकबर की बेइज्जती करना हो जाएगा। उनके बारे मे गलत सोचने के जुर्म मे सज़ा भी भुगतनी पड़ेगी।
इसीलिए मुल्ला जी हंसते हुए बोलें – बिल्कुल सही ज़वाब है, मेरे दिमाग में महेश दास द्वारा बताई गयी बात ही चल रहा है।
मुल्ला जी के बात को सुनकर सभी लोग हंस पड़े। सम्राट अकबर भी हँसने लगे और महेश दास भी मुस्कुराने लगे।
फिर सम्राट अकबर ने कहा कि अब सिद्ध हो गया कि महेश दास बहुत ही चतुर है। वह इस दरबार का सदस्य बनने के लायक है।
अकबर ने महेश दास से कहा कि – तुम्हारा दिमाग यानी वीर मे बल अर्थात ताकत है। इसीलिए तुम्हारा नाम आज के बाद वीरबल रहेगा। आगे चलकर यह नाम वीरबल से बीरबल हो गया।
तो दोस्तों यही थी महेश दास की उसके चतुराई और “महेश दास से बीरबल” की कहानी।
मैं आशा करता हूं कि आपको पसंद आया होगा धन्यवाद!