एक गाँव में मोहन और उसकी पत्नी राधा रहते थे। दोनों की नई नई शादी हुई थी। रोज़ सुबह मोहन कारख़ाने में काम करने जाता था और शाम को घर आता था। शाम को घर आते ही राधा के हाथ का ख़ाना खाने की जल्दी में रहता था। मोहन को राधा के हाथ के समोसे बहुत पसंद थे।
एक दिन दोनों बैठकर खाने के बारे में बात कर रहे थे। मोहन राधा से बोला तुम्हारे हाथ के समोसों का कोई जवाब नहीं है। आज तक मैंने ऐसे समोसे कही नहीं खाये थे। राधा मज़ाक में बोली जब मेरे हाथ के समोसे इतने ही अच्छे होते हैं, तो एक काम करते हैं मैं समोसे बनाती हूँ आप बाज़ार में जाकर बेचिए आपको दिन भर मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी। इस बात पर दोनों हँसने लगे।
अगले दिन सुबह मोहन जल्दी घर वापस आ गया। वह बहुत परेशान लग रहा था। उसको परेशान देख राधा ने पूछा, आज आप जल्दी कैसे आ गए? क्या हो गया? तबियत तो ठीक है, आपका चेहरा भी उदास है बताइए क्या हुआ है?
मोहन उदास होकर बोला – जिस कारख़ाने में मैं काम करता था आज वह कारख़ाना बंद हो गया है। कब खुलेगा कुछ नहीं पता, अब तो मैं सड़क पर आ गया। मेरे पास अब कोई काम नहीं है। अगर मैं काम नहीं करूँगा तो हमारे घर का ख़र्चा कैसे चलेगा?
सीता मोहन को आश्वासन देते हुए समझाने लगी। कोई बात नहीं आप परेशान मत होइए कोई न कोई काम तो मिल ही जाएगा। हम दोनों मिलकर काम करेंगे और अपना खर्च चला लेंगे। चिंता की बात नहीं है।
पत्नी की बात सुनकर मोहन को साहस आया। उसने ठंडे दिमाग़ से सोचा। थोड़ी देर बाद राधा से बोला उस दिन मज़ाक मे तुम समोसे बेचने की बात कर रही थी। क्यों न हम दोनों समोसा ही बेचे? तुम समोसे बनाना, मैं बाज़ार जाकर बेचूँगा।
यह सुझाव सीता को भी बहुत अच्छा लगा। वह फ़ौरन तैयार हो गई। और समोसे बनाने की तैयारी में जुट गई। कुछ समोसे तैयार होने के बाद शाम को मोहन समोसे का ठेला लेकर बाज़ार में बेचने चला गया। गरमा गरम समोसा खा लो……. चिल्लाने लगा। बाज़ार में कुछ बच्चे थे जिनको मोहन की आवाज सुनाई दी।
सभी बच्चे ठेला पर आकर मोहन से बोले, लगता है तुम नये नये आये हो। अपने समोसे कि क़ीमत बताओ, मोहन ने एक समोसे की क़ीमत पाँच रुपये बताई। सबने एक ही स्वर में बोला अगर तुम्हारे समोसे अच्छे नहीं हुए तो हम तुम्हें पैसे नहीं देंगें। मोहन मुस्कुराते हुए बोला ठीक है पसंद न आए तो मत देना।
सबने समोसे खाये। समोसे सबको बहुत पसंद भी आये। सबने खूब तारीफ़ की और अपने अग़ल बग़ल के लोगो को भी बताया। बाक़ी लोगो ने भी आकर समोसे खाये सबको ही पसंद आया। देखते ही देखते सारे समोसे ख़त्म हो गये।
बाज़ार में ही राजू नाम का दुकानदार भी समोसे बेचता था। आज उसके समोसे नहीं बिके। वह हैरान होकर बाज़ार में अपने मित्र से समोसे न बिकने का कारण पूछा, उसके मित्र ने बताया आज कोई नया समोसे वाला आया था। उसका समोसा बहुत स्वादिष्ट था। सबने उसीके समोसे खाये। मैंने भी आज उसी का समोसे खाया। यह जानकर राजू गहरी सोच में डूबा रहा और सोहन के समोसे नहीं बिके इसकी तरकीब लगाने लगा।
उधर मोहन घर गया और खुश होकर सारी बातें राधा को बताई। राधा भी खुश हो गई। मोहन बोला कल से तुम्हें दोगुने समोसे बनाने पड़ेंगे। बाज़ार में हमारे समोसों की बहुत माँग हो रही है। राधा ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो गई। अगले दिन वह दोगुने समोसे बनाई और सारे समोसे बिक भी गये। दोनों का कारोबार चल पड़ा था।
कुछ दिनों तक मोहन का कारोबार बहुत अच्छा चला लेकिन राजू का पूरा धंधा चौपट हो गया था। अब राजू ये सोचने लगा की क्यूँ न समोसे के साथ मुफ़्त की चटनी भी दूँ और उस चटनी मे नशीली दवाईया मिला दूँ जिसकी वजह से जो एक बार राजू के समोसे खा लेगा बार बार खाएगा। इस तरह उसका धंधा चल पड़ेगा और मोहन का धंधा चौपट हो जाएगा।
इसी गंदी सोच से राजू समोसे बेचने लगा। लोगो ने देखा राजू मुफ़्त की चटनी भी दे रहा है तो लोगो का रुझान राजू के समोसे पर हुआ। नशीली दवा मिली होने के कारण लोग एक समोसा खाने आते लेकिन पाँच पाँच समोसे खा कर जाते। राजू बहुत खुश था। लेकिन मोहन के समोसे नहीं बिक रहे थे।
मोहन रोज़ समोसे लाता लेकिन कुछ ही बिकते सारे समोसे ख़राब हो जाते। मोहन परेशान होकर राधा से समोसे का काम बंद कर कुछ और कारोबार करने के बारे में बोला। राधा ने उसे समझाया और कुछ दिन तक इंतज़ार करने को बोला। ऐसे ही चलता रहा।
एक दिन बाज़ार में राजू के ठेले पर बहुत भीड़ थी लोग लाइन लगाकर समोसा ख़रीद रहे थे। अचानक वहाँ पुलिस आ पहुँची और राजू को गिरफ़्तार कर लिया। सब हैरान रह गये सबने गिरफ़्तारी का कारण पूछा। तब पुलिस ने बताया कि, यह बेईमान आदमी अपनी चटनी में नशीली दवाईयों का प्रयोग करता है। जिसकी वजह से जो एक बार खा लेता है बार बार खाने आता है।
आज इसका सप्लायर जो इसे दवाइयाँ देता था पकड़ा गया है। उसी ने हमे इसका पता बताया है। पुलिस वाले राजू को मारते हुए गाड़ी में ले गये और जेल में बंद कर दिया।
अब मोहन और सभी नगर वाशियों को समझ में आया की उसके महँगे समोसे भी जल्दी क्यों बिकते थे। सभी अब दोबारा से मोहन के समोसे ख़ाने लगे। अब उसका व्यापार अच्छा हो गया। कभी भी लालच में आकर ग़लत तरीक़ा नहीं अपनाना चाहिये। सत्य की राह पर चलने वालों कि कभी हार नहीं होती।