हमारा देश भारत गाँवों का देश कहा जाता है। हमारे देश की असली पहचान गाँवों में ही दिखती है।
यह भी कहना ग़लत नहीं होगा कि आज़ादी के बाद अधिकतम गाँव के लोगो ने ही देश का नाम रौशन किया है।
ऐसी ही एक कहानी केरल राज्य के कन्याकुमारी ज़िले के एक गाँव सरक्कालविलाई की है।
जहां एक कैलाश नाम का एक गरीब किसान रहता था। कैलाश के दो पुत्र थे।
बड़ा पुत्र पिता के साथ खेती में मदद करता था। लेकिन छोटा बेटा जिसका नाम कैलाशावादिवो सिवन था, उसका मन पढ़ाई में लगता था।
वह गाँव के सरकारी स्कूल में पढ़ता था। एक दिन कैलाश, सिवन से बोला- बेटा हम गरीब लोग है हमारी आय का श्रोत मात्र खेती है।
तुम स्कूल से आने के बाद पढ़ाई में लग जाते हो और सुबह भी पढ़ाई में लगे रहते हो फिर स्कूल चले जाते हो।
मुझे तुम्हारी खेत में भी आवश्यकता है थोड़ा समय निकाल कर खेती में भी हाथ बटाया करो।
सिवन बोला- ठीक है पिता जी मैं आपकी बातों को ध्यान में रखूँगा।
पिता जी हमेशा उसको पढ़ाई में आगे बढ़ाने के लिये तत्तपर रहते थे। इस बात पर बड़ा भाई नाराज़ रहता था।
वह एक दिन बोला- पिता जी आप सिवन के पढ़ाई के लिए बेकार में पैसा खर्च करते है।
सिवन को भी खेती का काम सिखाकर खेती में लगाइए।
कैलाश उसको समझाते हुए बोला- सिवन पढ़ाई में अच्छा है और उसका मन भी पढ़ाई में लगता है इसलिए मैं उसकी पढ़ाई नहीं रोकूँगा।
ऐसे ही दिन बीतता रहा सिवन इंटरमीडिएट की परीक्षा में प्रथम आया।
सिवन खुश होकर घर आया और पिता जी से बोला- पिता जी मैं इंटरमीडिएट की परीक्षा में प्रथम आया हूँ।
मैं आगे की पढ़ाई करने के लिये कॉलेज जाना चाहता हूँ।
पिता जी के कुछ बोलने से पहले ही बड़ा भाई बोला- अब तक बहुत पढ़ाई कर लिये अब पढ़ने की आवश्यकता नहीं है।
पिता जी भी अब बूढ़े हो चुके है उनसे कोई काम नहीं होता है और मैं अकेले सारा काम नहीं कर सकता।
अगर तुम मेरी बात नहीं मानोगे तो अपने खर्चे का बंदोबस्त कर लेना मैं तुम्हें एक फूटी कौड़ी भी नहीं दूँगा।
निराश सिवन पिता जी से बोला- पिताजी मैं कॉलेज ज़रूर जाऊँगा।
अब सिवन साइकिल पर आम बेचता था और उन पैसों से अपनी फ़ीस भरता था।
प्रथम वर्ष में प्रथम स्थान लाने के बाद सिवन छात्रवृति प्राप्त कर निःशुल्क पढ़ाई करने लगा।
अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने MIT(Madras institute of technology ) चला गया वहाँ से शिक्षा प्राप्त कर निकला, तब वह एक वैज्ञानिक बन कर निकला।
कुछ सालो बाद सिवन ISRO (Indian Space Research Organisation) का मुखिया बन गया।
इसरो का मुखिया बन कर अपने वैज्ञानिक साथियों के साथ मिल कर चाँद की सतह पर अपना लैंडर भेजने की तैयारी में जी जान से लग गया।
आख़िरकार 22 जुलाई 2019 को वह दिन आ गया जब चन्द्र यान 2 की लॉंच हुआ। पूरे देश के साथ पूरी दुनिया की नज़र भारत पर थी।
भारत के प्रधानमंत्री यह उपलब्धि देखने के लिए इसरो में मौजूद थे।
लांचिंग सफल रही, लेकिन चंद्रमा पर उतरने से कुछ देर पहले ही लैंडर से वैज्ञानिकों का संबंध टूट गया।
वैज्ञानिकों के साथ साथ पूरा देश शोक में पड़ गया।
के सिवन का सपना टूट गया। वह भाऊक हो उठा और रोने लगा।
देश के प्रधानमंत्री ने उन्हें गले से लगाकर उन्हें समझाया कि तुमने बहुत अच्छा काम किया है।
तुम पूरे जी जान से लगे रहे सफलता असफलता तो ऊपर वाले के हाथ में है।
तुमने वो कारनामा कर दिखाया है जो दुनियाँ में किसी ने नहीं किया। तुम हमारे देश के एक महान वैज्ञानिक हो।
इसी बीच के सिवन इसरो से सेवामुक्त हो गया। उसकी जगह एस सोमनाथ की नियुक्ति हो गई।
एस सोमनाथ सिवन से बोला- महोदय, आप की अगुवाई में हमने बहुत कुछ सीखा है।
आपने देश के लिए बहुत कुछ किया है। आप जैसा वैज्ञानिक मैं भी बनना चाहता हूँ।
आप के आशीर्वाद से आपका सपना मैं अवश्य पूरा करूँगा।
के सिवन बोला- मैं देश के हर नागरिक को अपनी तरह देखता हूँ मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी असफलता को तुम सफलता में ज़रूर बदलोगे। यह कह कर के सिवन वहाँ से चला गया।
चार साल बाद 14 जुलाई, 2023 को चंद्र यान 3 लॉंच किया गया।
जो अपने हर पड़ाव में सफलता प्राप्त कर तेज़ी से चंद्रमा की तरफ़ बढ़ चुका था।
23 अगस्त 2023 को विक्रम लैंडर सफलता पूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड हो गया।
यह भारतीय वैज्ञानिकों और भारतवासियों के लिए गर्व का दिन था।
दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला यह दुनियाँ का पहला लैंडर बन गया।
पूरा देश टीवी पर अपने घरों में बैठकर यह कारनामा होते देख रहा था।