तत्पुरुष समास के “कारक के हिसाब” से निम्नलिखित 6 प्रकार होता है। और 7वां प्रकार नञ् तत्पुरुष समास होता है।
विषय - सूची
1. करण तत्पुरुष (से/के द्वारा)
करण तत्पुरुष मे करण कारक की विभक्ति “से/के द्वारा” का लोप् होता है। पर विग्रह करते समय यह “से/के द्वारा” विभक्ति दिखाई देता है।
उदाहरण :
- रेखांकित – रेखा से अंकित
- भयाकुल – भय से आकुल
- आकालपीड़ित – आकाल से पीड़ित
- कष्टसाध्य – कष्ट से साध्य
- भुखमरा – भूख से मरा
- सुररचित – सुर द्वारा रचित
2. अपादान तत्पुरुष (से – अलग होने)
अपादान तत्पुरुष समास मे अपादान कारक की विभक्ति “से-अलग होने” का लोप होता है। यहां पर जो “से” का लोप होता है, वो एक चीज़ का दूसरे चीज़ से अलग होते हुए नज़र आता है। जैसे :
- बुद्धिहीन – बुद्धि से हीन
- ऋणमुक्त – ऋण से मुक्ति
- सेवामुक्त – सेवा से मुक्त
- गुणहीन – गुणों से हीन
- धनहीन – धन से हीन
3. कर्म तत्पुरुष (विभक्ति – को)
कर्म तत्पुरुष समास मे कर्म कारक की विभक्ति “को” का लोप होता है। अर्थात इसके समस्त पदों का विग्रह करते समय, कर्म कारक की विभक्ति “को” का प्रयोग किया जाता है। परंतु समस्य पद बनाते समय उस “को” विभक्ति का लोप हो जाता है। उदाहरण :
- परलोकगमन – परलोक को गमन
- गगनचुम्बी – परलोक को छूने वाला
- स्वर्गगत – स्वर्ग को गया हुआ
- ग्रामगत – ग्राम को गया हुआ
- देशगत – देश को गया
- यशप्राप्त – यश को प्राप्त किया हुआ
4. संबंध तत्पुरुष (का, की, के)
यहाँ संबंध कारक की विभक्ति “का, की, के” का लोप होता है। जैसे –
- गंगाचल – गंगा का आँचल
- उद्योगपति – उद्योग का पति
- यमुनातट – यमुना का तट
- देवमूर्ति – देव की मूर्ति
- मनधारा – मन की धारा
- जलधारा – जल की धारा
- पराधीन – पर के अधीन
- प्रश्नानुसार – प्रश्न के अनुसार
अतः का, की, के अर्थात संबंध कारक की विभक्ति विग्रह करने पर दिखाई दे रही है, परन्तु समस्त पदों में इसका लोप हो रहा है
5. अधिकरण तत्पुरुष (मे/पर दोनों)
अधिकरण तत्पुरुष समास मे अधिकरण कारक की विभक्ति “मे/पर दोनो” का लोप होता है। अर्थात विग्रह करते समय मे/पर विभक्ति का प्रयोग किया जाता है। परंतु समस्त पदों में मे/पर विभक्तियों का लोप होता है। जैसे –
- गृहप्रवेश – गृह मे प्रवेश
- वनवास – वन मे वास
- लोकप्रिय – लोक मे प्रिय
- ग्रामवास – ग्राम मे वास
- आपबीती – आप पर बीती
- आत्मविश्वास – आत्म पर विश्वास
6. संप्रदान तत्पुरुष (के लिए)
संप्रदान तत्पुरुष समास मे संप्रदान कारक की विभक्ति “के लिए” का लोप होता है।
जैसे :
- यज्ञशाला – यज्ञ के लिए शाला
- देवबली – देव के लिए बली
- राहखर्च – राह के लिए खर्च
- डाकगाड़ी – डाक के लिए गाड़ी
- प्रयोगशाला – प्रयोग के लिए शाला
- हथकड़ी – हाथ के लिए कड़ी
दोस्तों ये सभी तत्पुरुष समास के कारक के हिसाब से 6 भेद है। जिनका हमने ऊपर परिभाषा और उदाहरण सीखा और समझा।
कारकों के हिसाब से इन 6 भेद यानी प्रकार के आलावा तत्पुरुष समास का एक और प्रकार होता है – नञ् तत्पुरुष समास।
7. नञ् तत्पुरुष समास – पहला पद नकारात्मक
इस समास मे पहला पद नकारात्मक होता है। जैसे : असत्य – न सत्य, अधर्म – न धर्म, अनाथ – न नाथ, अज्ञान – न् ज्ञान, अमर – न मर, अनर्थ – न अर्थ आदि।
तो यही है आज ज्ञान, मैं आशा करता हूँ की आपको सारी बातें समझ मे अच्छे से आ गयी होगी।
समास किसे कहते है और इसके कितने प्रकार होते हैं : विस्तार पूर्वक जानें
धन्यवाद !