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सब्र का फल – गौतम बुध्द और उनके धैर्यवान शिष्य की Inspirational कहानी

सब्र का फल मीठा होता है यह लाइन तो आपने अपने जीवन में कभी न कभी जरूरी सुना होगा।

तो दोस्तों आज मैं जो कहानी बताने जा रहा हूं वह सब्र विषय पर है। दोस्तों आपने महात्मा गौतम बुद्ध जी का तो नाम जरूरी सुना होगा।

गौतम बुद्ध के पहले शिष्य की निराशा

एक बार की बात है जब महात्मा गौतम बुद्ध जी अपने शिष्यों के साथ धर्म प्रचार प्रसार के लिए पूरे भारत देश के भ्रमण करने के लिए निकले थे। उसी दौरान वह एक जंगल से गुजर रहे थे तभी उन्हें बड़ी जोर की प्यास लगी।

उन्होंने अपने एक शिष्य से कहा कि हे शिष्य! जाओ और मेरे लिए पानी का कोई व्यवस्था करो, पानी लेकर आओ कहीं से।

उनका वह शिष्य तुरंत ही निकल पड़ा पानी की खोज में। पानी की तलाश में कुछ दूर निकल जाने पर उसे एक नदी दिखाई देती है।

लेकिन उस शिष्य ने देखा कि नदी में बहुत से लोग नहा रहे थे। नदी में कुछ लोग पशुओं को धो रहे थे। नदी में कुछ औरतें कपड़े धो रही थी। कुछ लोग बर्तन धो रहे थे, वगैरा-वगैरा….। अर्थात वह नदी का पानी बहुत ही ज्यादा गंदा दिखाई दे रहा था।

वह शिष्य समझ नहीं पा रहा था कि उस गंदे पानी को कैसे अपने गुरु के पास ले जाए। क्यूँकि इस नदी का पानी तो बहुत ही ज्यादा गंदा है। वह पानी पीने के योग्य नहीं है अर्थात वह शिष्य निराश होकर वापस अपने गुरु के पास चला आया।
गौतम बुद्ध जी से उस गंदे पानी के बारे में बताया और उसने यह भी बताया कि यहां पर आसपास में और कोई भी ऐसा पानी नहीं है जो पीने के योग्य हो।

महात्मा गौतम बुद्ध के दूसरे शिष्य का सब्र

फिर महात्मा गौतम बुद्ध ने अपने एक दूसरे शिष्य को आग्रह किया कि जाओ और कही से पानी खोजकर लेकर आओ।

उनका दूसरा शिष्य निकल पड़ा पानी की खोज में। उसने भी आसपास पहुंच छानबीन करने के बाद यह निष्कर्ष पाया कि सचमुच में कहीं भी पानी पीने योग्य नजर नहीं आ रहा है।

उनका यह दूसरा शिष्य उस नदी के पास जा खड़ा हुआ जहां पर उनका पहला शिष्य पानी के तालाश में आया हुआ था।

उसने भी सचमुच में वही नजारा देखा जो उसके पहले साथी शिष्य ने देखा था कि पानी वहां का सचमुच में बहुत ज्यादा गंदा है।

इधर महात्मा गौतम बुद्ध जी पानी का इंतजार कर रहे थे। तभी उन्हें यह दिखाई पड़ा कि उनका दूसरा शिष्य पानी लेकर आ रहा है।

पास आने के बाद महात्मा गौतम बुद्ध जी ने उससे पूछा कि तुमने यह पानी कहां से लाया। आसपास तो कहीं साफ पानी था ही नहीं। फिर तुम यह साफ पानी कहां से लेकर आ रहे हो।

तो उनके दूसरे इस शिष्य ने यह जवाब दिया कि गुरुदेव मैं यह पानी उसी नदी से लेकर आ रहा हूँ।

सभी लोग बड़े ही आश्चर्य चकित हो गए कि यह कैसे हो सकता है। पहले शिष्य ने तो यह बताया था कि उस नदी का पानी बहुत गंदा है।

महात्मा गौतम बुद्ध ने अपने इस दूसरे शिष्य से इस साफ पानी का रहस्य पूछा। दूसरे शिष्य ने बड़े ही नम्र भाव से बताया कि मैं भी उस गंदे पानी को देखकर बहुत ही परेशान हो गया था कि अब क्या करूं, साफ पानी कहां से लेकर जाऊँ।

लेकिन तभी मेरे दिमाग में यह विचार आया कि क्यूँ न मैं इन सभी लोगों का यहां से जाने का इंतजार करु अर्थात जैसे ही वह लोग यहां से चले जाएंगे नदी का पानी इस्तेमाल नहीं होगा तो धीरे-धीरे शांत हो जाएगा और गंदे पानी के अंदर के सारे मिट्टी स्थिर होने के बाद नदी के जमीन के तल पर बैठ जाएगा।

और ऊपर का सारा पानी साफ हो जाएगा और अंततः यही मैंने किया उन लोगों का जाने का इंतजार किया और जैसे ही वह लोग चले गए पानी धीरे-धीरे स्थिर हो गया तथा उस पानी में घुले हुए सारे गंदगी नदी के तल में जाकर बैठ गए। जिससे ऊपर का पानी साफ दिखने लगा यानी पानी साफ हो गया। और मैं वही साफ पानी लेकर आपके पास आया हूं गुरुदेव।

गौतम बुद्ध ने प्यास बुझाया और सब्र का पाठ पढ़ाया

महात्मा गौतम बुद्ध जी अपने दूसरे शिष्य की इस बात को सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और उस पानी को पीकर अपनी प्यास को बुझाया। तथा साथ ही साथ बाकी के शिष्य को यह संदेश भी दिए कि सब्र का फल मीठा होता है अर्थात इसी तरह से अगर हम कोई भी कार्य करते हैं तो उस कार्य में तरह तरह की समस्याएं आएंगी, तरह-तरह की परेशानियां आएंगे। लेकिन हमें उन परेशानियों का सब्र के साथ सामना करना चाहिए। सब्र के साथ अगर हम परेशानियों और दुख का सामना करेंगे, तो अंत में हम उस परेशानी और दुख से जरूर उभर जाएंगे।

इस कहानी से हमने क्या सीखा

दोस्तों ऐसे ही हमारे जीवन में हम जब कोई भी कार्य करते हैं तो बहुत सारी परेशानियां आती हैं। बहुत सारे दुख आते हैं। लेकिन दोस्तों उन परेशानियों का, उन दुखों का डटकर हमें सामना करना चाहिए। और सामना करते वक्त हमारे पास धैर्य की और सब्र की बहुत खास जरूरत पड़ेगी। तो दोस्तों बिना डरे, बिना सहमें सब्र करते हुए धैर्य के साथ परिश्रम करते रहें, अपना कर्म करते रहे तो एक न एक दिन आपको उसका अच्छा फल जरुर मिलेगा।

तो यही है दोस्तों आज की कहानी। मैं आशा करता हूं कि आपको यह कहानी बहुत ही पसंद आई होगी और साथ ही साथ आपको इस कहानी से अपने जीवन से संबंधित बहुत सारी चीजों को सीखने को मिला होगा जिससे कि आप अपनी लाइफ को बहुत बेहतरीन और सुखमय बना सकेंगे।

धन्यवाद !

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