दीपावली – हर धर्म का त्योहार क्यूँ है ?

दीपावली

दीपावली – खुशियों का त्योहार ! इस त्योहार को दीवाली भी कहते है।

इस दिन खूब मिठाईयाँ खाते हैं, पटाख़े फोड़ते हैं, नये कपड़ें पहनते है और सायंकाल के समय अपने- अपने घरों में, छत पर, घर के द्वार पर हर जगह दीया जला कर रखते है।

जब से धनतेरस का त्योहार शुरू होता हैं, तब से अपने- अपने छतों पर ” लड़ी (जो लाइन से जलता है ) ” लगा देते है।

फिर नर्क/ नरक चुतर्दर्शी पड़ता है, उसके बाद दीपावली और दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा। उसके बाद भाईदूज। इन सभी त्योहारों पर बहुत मजा आता है।

2023 का दीपावली

  • त्योंहार का नाम- दीपावली ‘दिवाली’
  • तारिख दिन- 12 नवम्बर, रविवार
  • शुरूवात- धनतेरस 10 नवम्बर से
  • समाप्त- भाईदूज 15 नवम्बर तक

क्यों दीपावली नाम पड़ा ?

इस दिन दीयों की लाइन लगाकर दीपक जलाते है। इसी से इस त्योहार का नाम दीपावली पड़ा।

दीपावली जो दीप से ‘दीपक’ और आवली ‘पंक्ति’ से मिलकर बना है। इसे दिवाली के नाम से भी बोलते है। वैसे शुद्ध शब्द दीपावली है।

इस दिन अंधरे पर दीयों की उजालों की जीत होती है। हिंदु धर्म में सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध त्योंहारो में से एक है।

दीपावली को अन्य भाषाओं में अलग- अलग नामों से बोला जाता है।

जैसे :- बंगाली में दीपावली, उड़िया में दीपाबाँली, तेलगू में दिवाली, हिंदी में दीवाली, पंजाबी में दियारी इत्यादि।

दीपावली क्यों मनाया जाता है ?

कहा जाता है की इस दिन अयोध्या के राजा श्रीराम चन्द्र जी रावण का वध कर, चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। कार्तिक मास की काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की उजालों से जगमगा उठा था। तब से यह दीपावली मनाया जाने लगा।

यह भी माना जाता है कि कृष्ण ने औरतों पर अत्याचार करने वाला राक्षस नरकासुर को दीपावली से एक दिन पहले नर्क/ नरक चुतर्दर्शी को उसका वध किए थे। इसी से अगले दिन अमावस्या के दिन दीया जलाकर खुशी मनाया जाता है।

सभी धर्मों में मनाने के कई कारण ?

सभी धर्मो में दीपावली मानने के अलग अलग कारण बताया गया है। देश के अलग- अलग भागों में दीपावली मनाने के पीछे कई वजह है।
जैसे:-

हिंदू धर्म की दीवाली

रामायण कथा के अनुसार हिंदू धर्म मे दीपावली रावण के बुराई का वध और श्रीराम, माता सीता, प्रभु लक्ष्मण के वनवास पूरा करके अयोध्या लौटने के खुशी में मनाया जाता है।

दीवाली के एक दिन पहले कृष्ण ने सोलह हजार लकड़ियों को दानव नरकासुर से बचाया और उस दैत्य का वध किया। इसी खुशी में अगले दिन दीवाली का त्योंहार मनाया जाने लगा।

जैन धर्म की दीपावली

इस धर्म के एक विद्वान का कहना था कि जैन धर्म के परंपरा में दीवाली महावीर के अंतिम निवार्ण के पालन में मनाया जाता है। जैसे हिन्दू धर्म दीपक जलाते है, वैसे ही इस धर्म मे दीपक जलाकर महावीर जी को याद और पूजा किया जाता है।

हिन्दू धर्म मे लक्ष्मी जी की पूजा होती है और जैन धर्म मे ‘महान प्रकाश, महावीर’ जी के लिये दीया जलया जाता है।

सिख धर्म की दीपावली

इस धर्म के विद्वान ‘जे. एस. ग्रेवाल’ का कहना था कि गुरु हरगोविंद जी मुगल सम्राट के किले की जेल बंदी से छूटे थे। उसके बाद वह अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पहुँचे। तब से उन्ही के याद में दीपावली मनाया जाता है।

रे केलोज के मतानुसार सिख धर्म मे दीवाली तीन घटनायें के आधार पर मनाया जाता है। गुरु हरगोविंद मुगलों के जेल से रिहाई, अमृतसर शहर की स्थापना और इस्लाम धर्म मे परिवर्तन के इनकार करने के लिए जुर्माना असफल होने की खुशी में मनाया जाता है।

बुद्ध धर्म की दीवाली

इस धर्म मे सभी देवताओं का बहुत सम्मान किया जाता है। जैसे इस दिन हिन्दू धर्म मे लक्ष्मी जी तो बुद्ध धर्म में लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा करते है।

बौद्धों में दीवाली का पर्व पांच दिन तक मानते है। जैसे हिन्दू धर्म मे मनाया जाता है।

सावधानियाँ !

  • इस दिन खुशी का कोई ठीकाना नही रहता है। बच्चें तो दिवाली से एक सप्ताह पहले ही पटाख़े फुलझड़ियाँ जलाना शुरू कर देते है। इसी से इस दिन बच्चों को पटाख़े और आग से बचा कर रखें। नही तो इससे बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है।
  • बच्चे तो बच्चें है, लेकिन इस दिन बड़े भी बमवाला पटाख़े बहुत सारे पटाख़े है जो इस दिन लोग फोड़ते है। दीवाली के दिन कोई किसी की बात नहीं सुनता है लेकिन फिर भी आग और पटाख़े से सावधान रहे।

धन्यवाद !

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