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भाषा किसे कहते है – इसके कितने भेद है ?

भाषा एक ऐसा साधन जिसके जरिये हर प्राणी / मनुष्य एक दूसरे के बात – विचार को आपस मे समझ सकते है या समझा सकते है।

भाषा के कितने भेद होते है?

इसके तीन भेद होते है।

1. कथित (मौखिक) भाषा
2. लिखित भाषा
3. सांकेतिक भाषा

1. कथित (मौखिक) भाषा

मौखिक भाषा एक ऐसा साधन है, जिससे जरिये हर प्राणी एक – दूसरे की बात, विचार और भाव को बोलकर और सुनकर समझते है।

उदाहरण:-

1. गाना सुनकर और सुनाना
2. टेलीफोन पर बात करना
3. रेडियो पर न्यूज सुनना

2. लिखित भाषा

ऐसी भाषा जिसके माध्यम से हर प्राणि एक- दूसरे के भाव – विचार और बात लिखकर तथा पढ़कर समझते है, उसे लिखित भाषा कहते है।

उदाहरण:-

1. चिट्ठी लिखना और पढना
2. मास्टर जी का श्यामपट्ट पर लिखना और छात्र – छात्राओं का पढ़ के समझना
3. न्यूज पेपर पढ़ना
4. किताब पढ़ना – लिखना

3. सांकेतिक भाषा

सांकेतिक भाषा के माध्यम से प्राणि अपने बात, भाव और विचार को इशारों यानि संकेत से समझता और समझाता है।

उदाहरण:- 1. वाहन के इंडिकेटर लाईट को जलाना
2. रोड पर ट्रैफिक सिगनल लाईट का लाल, पिला और हरा जलाना।
3. किसी गूंगे और बहरे व्यक्ति द्वारा इशारा करके समझाना तथा गूँगे- बहरे व्यक्ति को संकेत या इशारा से समझाना।

भाषा का अर्थ क्या है? एक वाक्य में उत्तर

बात – विचार – भाव का क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुति ही भाषा का सार्थक/सही अर्थ है।

भाषा क्या है
भाषा क्या है ?

भाषा के अंग कौन-कौन से है ?

इसके चार अंग होते है:-

  • वाक्य
  • रूप शब्द
  • ध्वनि
  • अर्थ

भाषा की विशेषताएँ

इनकी विशेषताएँ निम्नलिखित कुछ इस प्रकार है।

  1. भाषा मनुष्य/इंसान से संबंधित होता है।
  2. अलग-अलग क्षेत्र के हिसाब से भाषा का दायरा होता है।
  3. यह प्रतीक (symbol) संबद्ध होता है ” प्रतिकात्मक “
  4. इसका परिवर्तन स्वभाविक रूप से होता रहता है अर्थात भाषा परिवर्तनशील होता है।
  5. भाषा ध्वनि स्वरूप यानी ध्वनिमय होता है।
  6. हमेशा भाषा सरलता और परिपक्वता के ओर गतिमान रहता है।
  7. मनुष्य के विकसित और अविकसित संस्कृति से, भाषा का विकसित और अविकसित होना जुड़ा हुआ रहता है।
  8. भाषा किसी के पुरखों की सम्पत्ति बिल्कुल भी नही है।
  9. यह हर प्राणी के लिए कठिन से सरल की तरफ बढ़ते रहता है।
  10. इसका कभी अंत नही होता है, भाषा अनन्त है।

भाषा की प्रकृति क्या होती है ?

Language (भाषा ) की प्रकृति, इसके अपने आप की आन्तरिक स्वभाव या गुण होता है। ये हमेशा निंरतर पानी की तरह हर स्थिति में अपने स्वरूप को बेहतर तरीके से विकसित करते रहता है।

जैसे पानी को किसी भी आकार के बर्तन में तुरंत रख देने से एक नया उस बर्तन स्वरूप पानी रूप ले लेता है। ठीक उसी प्रकार भाषा गाँव, राज्य, देश, समय और समाज के अनुसार अपने रूप को बेहतर विकसित कर लेता है।

भाषा के रूप क्या हैं ?

ये मुख्य रूप से तीन होते है।

1. बोलियाँ

किसी प्राणि द्बारा अपने आस – पास, घर समूह में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा बोलियाँ होती है।

2. परिनिष्ठित (शुद्ध) भाषा

जब किसी बोली को व्याकरण द्वारा शुद्ध करके बोला जाये तो वह परिनिष्ठित भाषा बन जाता है।

3. राजभाषा या राष्ट्रभाषा

किसी देश या राज्य की शुद्ध भाषा जब समाजिक और राजनीतिक तौर पर बहुसंख्यक रूप से हर क्षेत्र में सभी साधन के लिए इस्तेमाल होने लगती है। तो वह राज/राष्ट्र भाषा बन जाता है।


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