अंधा बाबा : अकबर और बीरबल

अंधा बाबा: अकबर और बीरबल

एक बार की बात है ज़रा अकबर अपने दरबार में लोगो की समस्याएँ सुन कर उनका निवारण कर रहे थे।

तभी उनकी दरबार में एक औरत एक बच्ची के साथ आई उस बच्ची का एक हाथ काम नहीं करता था|

वह बहुत रो रही थी। अकबर ने औरत से उसके रोने का कारण पूछा।

अमावास की रात

औरत बोली- महाराज, मेरा नाम सविता है और यह मेरी भतीजी गुड़िया है जिसका एक हाथ बचपन से काम नहीं करता है।

इसी समस्या का समाधान ढूढ़ने इसके माता पिता इसे लेकर अंधा बाबा के पास गये थे।

जहाँ बाबा ने बताया कि उनके पास इस समस्या का समाधान है, लेकिन उस समाधान में ढेर सारे सोने के सिक्के लगेंगे।

और उन्होंने अमावस की रात को इसके माता पिता को समाधान के लिए बुलाया था।

वे लोग घर में रखे सभी सोने- चाँदी के सिक्के लेकर गये लेकिन उस रात से इसके माता पिता दोनों ग़ायब है।

अंधा बाबा के भक्त

उसकी बातें सुन अकबर कुछ बोलते उससे पहले ही दरबार में उपस्थित एक दरबारी बोला-

अंधे बाबा के खिलाफ तुम कैसे बोल सकती हो|

वह अंतर्यामी है, इतना ही नहीं वह एक महापुरुष भी है। महाराज उन्होंने राज्य के लोगो की बहुत भलाई की है।

यह औरत जरुर किसी लालच में आकर उनके ऊपर आरोप लगा रही है।

धीरे धीरे सभी दरबारी अंधे बाबा की तारीफ़ करने में लग गये।

यह देख अकबर बीरबल की तरफ देखे जो बहुत चिंतित और बिलकुल शांत थे।

अकबर ने इशारे में ही बीरबल को इसकी जाँच करने को कहा।

उस दिन से बीरबल उस बाबा के ढोंग को शबित करने का उपाय ढूढ़ रहे थे लेकिन कोई ठोस उपाय मिलता नहीं दिख रहा था।

बीरबल गये अंधा बाबा के आश्रम

एक दिन वह इन्ही बातों को मंथन करते हुए जा रहे थे। रास्ते में बच्चे गेंद से खेल रहे थे।

अचानक बीरबल के पास उड़ती हुई गेंद आई उन्होंने झटके से आती हुई गेंद को पकड़ लिया।

वह अचानक की इस प्रक्रिया से ख़ुद भी सोच में पड़ गये।

उसी वक्त उन्हें अंधा बाबा का सच पता करने की योजना दिमाग में आई।

वह योजना बना कर अंधा बाबा के आश्रम जाने वाले रास्ते पर चल पड़े।

अंधा बाबा के चमचे

थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें एक टाँगे वाले ने रोका और बोला- मंत्री बीरबल क्या आप अंधा बाबा के आश्रम जा रहे है?

बीरबल को उसके प्रश्न पूछने पर संदेह हुआ। क्योकि आम तौर पर टांगे वाले यह पूछते है कि राहगीर को कहा जाना है?

और यह स्थान के बारे में ही पूछ रहा है। बीरबल को उस पर सक हुआ वह उसके टाँगे पर बैठ जाने लगे।

वह टाँगा वाला बात ही बात में पूछा- आप बाबा के आश्रम क्यों जा रहे है?

बीरबल को पहले से ही उस पर शक था वह उसके विचार समझ गये

और उत्तर दिया कि कई दिनों से उनके एक पैर में दर्द है जो लाख दवा करने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा है।

मैंने सोचा है कि बाबा के पास अवश्य इलाज होगा इसलिए जा रहा हूँ।

उसके बाद रिक्शे वाले ने जो भी प्रश्न किए बीरबल उसका झूठा झूठा जवाब देते गये।

थोड़ी देर बाद आश्रम आ गया। टाँगा वाला बिना मेहनताना लिए जल्दी से वहाँ से चला गया।

बीरबल पहुँचे बाबा के आश्रम

आश्रम के अंदर का नजारा देख बीरबल की आँखें खुली की खुली रह गई।

वह आश्रम किसी महल से कम नहीं था। ऐसे महल किसी राजा महाराजा के हुआ करते है।

वहाँ की चका- चौक देख उनके होश उड़ गए। अंदर बाबा के दरबार में लोगो का मजमा लगा हुआ था।

सैकडो लोग अपनी अपनी परेशानी लिए वहाँ पहुँचे थे।

जैसे ही बीरबल बाबा के पास पहुँचे उनके कुछ बोलने के पहले ही बाबा बोला-

आइये बीरबल मुझे पता है बहुत दिनों से आपके पैरों की तकलीफ़ दूर नहीं हो रही है।

बीरबल ने बाबा को तलवार उपहार में दिए

उसकी बातें सुनकर बीरबल मुस्कुराए और बोले- हाँ बाबा आपने सही कहा

लेकिन आप तो देख भी नहीं सकते फिर आपने मुझे कैसे पहचाना और मेरी परेशानी के बारे में कैसे पता चला?

बाबा बोला- मैं अपनी मन की आँखों से सब देख लेता हू, और उसकी परेशानी भी समझ लेता हूँ।

यह बात सुनकर वहाँ उपस्थित लोग बाबा की जय जय कार करने लगे।

बीरबल बोले- आपके इस ज्ञान के लिए मैं आपको कुछ उपहार देना चाहता हूँ|

यह कहते हुए बीरबल बाबा के पास गये बाबा अपेक्षा कर रहा था कि बीरबल उसे कुछ कीमती उपहार देंगे|

लेकिन एक दुम नज़दीक पहुँच कर बीरबल ने झट से अपनी तलवार निकाली और उसके ऊपर चलाना चाहा।

तलवार देख बाबा मेढक की तरह उछल कर वहाँ से दूर कूद गया।

ढोंगी बाबा की सच्चाई आईं सभी के सामने

बीरबल हाथ में नंगी तलवार लिए उसे दौड़ने लगे वह भागने लगा।

अँधा बाबा: अकबर और बीरबल

वह बाहर निकले उसके पहले ही बीरबल के कुछ सैनिकों ने उसे पकड़ लिया।

बाबा बोला- बीरबल आप मुझे क्यों मारना चाहते है? बीरबल बोले-

जब तुम अंधा हो फिर तुम्हें कैसे दिखाई दिया कि मैं तलवार से तुम्हारे ऊपर वार करने वाला हूँ?

यह सुनकर वहाँ सन्नाटा फैल गया। वहाँ खड़े लोगो ने भी वही जानने की इच्छा जाहिर की बाबा के पास कोई उत्तर नहीं था।

लेकिन भीड़ में खड़ा एक भक्त बोला- वह अपनी मन आँखों से देख लिये होंगे।

अगर ऐसा ही होता तो वह सबकी परेशानियाँ कैसे जान पाते?

तभी कुछ सिपाही उस टाँगे वाले को लेकर वहाँ आ गये। बीरबल बोले- यह टाँगे वाला ही बाबा की अंतदृष्टि का कारण है।

अंधा बाबा ने अपनी गलती स्वीकार किया

यह बड़ी चालाकी से यहाँ आने वाले लोगो की परेशानी पूछ लेता है और चुपके से अंदर आकर इस ढोंगी बाबा को बता देता है।

जैसा बाबा ने कहा कि मेरी एक टांग में दर्द है ऐसा कुछ नहीं है मैंने इस टाँगे वाले को जानबूझ कर यह बताया था।

उसके बाद टाँगे वाले और स्वयं बाबा ने यह स्वीकार किया।

उसके बाद वहाँ इकट्ठा भीड़ उसे पीटने के लिए दौड़ी लेकिन बीरबल ने उन्हें ऐसा करने से रोका।

उसे राजा अकबर के दरबार में पेश करने का हुक्म देकर सैनिकों के साथ उसे वहाँ भेज दिया।

अकबर ने ढोंगी बाबा को कालकोठरी की सजा दी

आश्रम की जाँच करने पर पता चला कि उसकी भुधरा में बहुत से लोग़ है और सभी को भूधरा से रिहा करवाया।

उसमे गुड़िया के माता पिता भी थे। राजा अकबर ढोंगी बाबा और टाँगे वाले को काल कोंठरी में बंद करने की सजा सुनाई।

अकबर ने बीरबल की बुद्धिमानी से किए गये कार्य की खूब प्रसंसा की और लोगो को ऐसे ढोंगियों से सावधान रहने की सलाह दी।

कहानी की सीख-

आज कल समाज में बहुत ढोंगी घूम रहे है हमे उनकी जाल में नहीं आना चाहिए बल्कि तर्क से सोच समझ कर कोई निर्णय लेना चाहिए।

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