इच्छाधारी नागिन

इच्छाधारी नागिन

रोली एक पाँच साल की लड़की थी। उसके पिता मनीष एक ठीक ठाक व्यापारी थे। उसकी माँ गृहणी थीं। दोनों रोली को बहुत प्यार करते थे।

रोली को पशु पक्षी और जानवरों से बहुत लगाव था। वह हमेशा उनकी देख भाल करती थी। अपने घर में आई बिल्ली को वह रोज़ दूध पिलाती थी।

उनका परिवार एक खुशहाल परिवार था। लेकिन उनके परिवार में रोली के चाचा और चाची रहते थे, जिनकी नजर मनीष की जायदाद पर थी!

वे किसी तरह मनीष की जायदाद हड़पना चाहते थे। लेकिन दिखावा के लिए बहुत प्यार कराते थे।

गाँव में दिखी बेज़ुबान नागिन

इच्छाधारी नागिन

एक दिन गाँव में एक नागिन दिखी जिसे मारने के लिए लोगो ने घेर लिया था। लाठी डंडे लेकर उसे मारने को तैयार थे। उसे मार कर अधमरा भी कर दिये थे।

तभी वहाँ रोली आ गई और सभी लोगो को डाँटने लगी। बोली- आप लोग इस बेज़ुबान को क्यों मार रहे है? इसने आपका क्या बिगाड़ा है?

क्या इसने किसी को नुक़सान पहुँचाया? एक बूढ़ा आदमी बोला- रोली, बेटी तुम बहुत अभी छोटी हो, नहीं समझोगी।

साँप को अगर नहीं मारेंगे तो वह किसी को काट लेगा।

रोली जवाब देते हुए बोली- लेकिन यह भी तो हो सकता है कि यह नागिन घूमने जा रही हो किसी को नुक़सान पहुँचाने न आई हो।

उसकी बात कोई नहीं मान रहा था। लोगो ने उसे वहाँ से भगा दिया। वह जा रही थी लेकिन उसके मन को शांति नहीं मिल रही थी।

नागिन को बचाने की योजना

नागिन को बचाने के लिए वह एक योजना बनाई और चिल्लाते हुए बोली- भागो भाओ शेर आया शेर आया।

सभी लोग नागिन को वही छोड़ कर भाग गये। मौक़ा मिलते ही घायल नागिन वहाँ से भाग गई।

यह देख रोली बहुत खुश हुई। वह घर जाकर अपनी माँ को सारी बात बताई। उसकी माँ यह सुनकर बहुत खुश हुई।

नागिन ने रोली को जकड़ लिया

कुछ दिन बाद रात में रोली और माँ बाप सभी लोग सो रहे थे। आधी रात को खिड़की से एक आवाज़ आई ऐसा लग रहा था जैसे कोई रोली रोली पुकार रहा है।

आवाज़ सुनकर रोली की नींद खुली वह बाहर झांक कर देखी उसे कोई नहीं दिखा, उसे लगा उसका वहम होगा उसे कोई नहीं बुला रहा है।

दोबारा वह सो गई, लेकिन थोड़ी देर बाद फिर से वही आवाज़ आई रोली रोली ….

इस बार रोली उठकर उस आवाज़ का पीछा करते हुए घर से दूर एक सुनशान जगह पर पहुँच गई।

अब आवाज़ आनी बंद हो गई थी। तभी अचानक उसके सामने एक नागिन आई और रोली को पूरी तरह जकड़ ली वह हिल भी नहीं पा रही थी।

बहुत देर वह ख़ुद को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन ख़ुद को छुड़ा नहीं पा रही थी। बहुत देर वह छटपटाती रही लेकिन कुछ नहीं कर सकी।

काफ़ी देर बाद वह नागिन उसे ख़ुद ही आज़ाद कर दी। आज़ाद होने के बाद रोली वहाँ से दौड़ लगाकर भागी अपने घर के पास गई

तो उसने देखा उसका घर आग की लपटों से घिरा हुआ है। पूरा घर दहक रहा था।

दुःख का पहाड़ टुटा

नींद में ही उसके माता पिता जल कर मर गये थे। गाँव के लोग आग बुझाने में लगे थे।

यह सब देख वह रोने लगी इतनी कम उम्र में माँ बाप को खो देना उसके लिए आसान नहीं था। वह चिल्ला चिल्ला कर रो रही थी।

उसे देख उसकी चाची चौंक गई उसे लगा था वह भी जल कर मर गई होगी।

असल में यह आग उसके चाचा चाची ने जान बूझ कर उनको मारने के लिए ही लगाई थी।

उसे ज़िंदा देख वह सोच में पड़ गई की यह ज़िंदा कैसे बच गई। लेकिन गाँव वालों के सामने कर भी क्या सकती थी।

लोगो को दिखाने के लिए वह उसे सीने से लगाकर बोली- चुप हो जाओ रोली मैं हूँ, तुम्हारा पूरा ध्यान रखूँगी तुम्हें माँ की कमी महसूस नहीं होने दूँगी।

लोगो ने आग बुझाई घर तो पूरी तरह राख में परिवर्तित हो चुका था। रोली अब अपने चाची के साथ रहने लगी।

एक दिन दोनों चाचा चाची बात कर रहे थे कि- इसे भी इसके माँ बाप की तरह मारना पड़ेगा नहीं तो इसकी सारी संपत्ति हमारी नहीं होगी।

बुरे षड़यंत्र का बुरा नतीजा

चाचा बोला- यदि इसे नहीं मारेंगे तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। इसे जल्दी ही मारना पड़ेगा।

एक दिन उसकी चाची रोली के लिए खीर बनाई जिसमे रोली को जान से मारने के लिए ज़हर मिलाई हुई थी।

रोली अपने कमरे में बैठ कर पढ़ाई कर रही थी उसके पास जाकर बोली- रोली बेटी मैंने तुम्हारे लिए खीर बनाई है

जल्दी से गरम गरम खीर खा लो नहीं तो ठंडी हो जाएगी।

वह रोली को खीर देने के लिए हाथ आगे बढ़ाई की तभी एक बिल्ली आई उसने छलांग मार कर खीर नीचे गिरा दी और वहाँ से भाग गई।

उसकी चाची का पूरा प्लान चौपट हो गया। यह वही बिल्ली थी जिसे रोली हर दिन दूध पिलाती थी। उसने समय पर आकर रोली की जान बचाई।

ऐसा होता देख उसकी चाची बहुत गुस्साई और बिल्ली को मारने दौड़ी। लेकिन वह बिल्ली उसके पकड़ में कहा आने वाली थी।

वह छलांग मारते हुए वहाँ से भाग गई।

अब उसके चाचा चाची ने नींद में रोली का गला घोट कर हत्या करने की योजना बनाई।

रात हो गई, रोली गहरी नींद में सो रही थी। तभी दोनों उसके कमरे में आये और उसका गला दबाने लगे वह तड़प रही थी

उसकी सांसे रुकने लगी थी कि अचानक वही नागिन जिसे रोली ने गाँव के लोगो से बचाया था

आयी और दोनों को बहुत तेज से डस ली, उसका ज़हर इतना बिसैला था कि छड़ भर में ही दोनों की सांसे रुक गई। दोनों वही तड़प कर मर गये।

नागिन के इंसानियत की जीत

रोली अपने सीने पर हाथ रख कर तेज तेज साँस ले रही थी और उसकी आँखो के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।

वह जिन्हें अपना समझती थी वही लोग उसकी जान के दुश्मन थे। वह नागिन एक इच्छा धारी नागिन थी।

वह अपना रूप बदल कर एक कन्या के रूप में रोली के सामने प्रकट हुई। जिसे देख कर रोली चौक गई।

नागिन बोली- तुम घबराओ मत मैं वही नागिन हूँ जिसे तुमने गाँव वालों से बचाया था। जबसे तुम मेरी जान बचाई थी तबसे मैं तुम्हें देखने रोज़ आती थी।

एक दिन मैंने सुना कि यह दोनों आज तुम्हारे घर आग लगाने वाले है इसीलिए उस दिन तुम्हें बहुत देर तक जकड़ कर रखी थी ताकि तुम्हारी जान बचा सकूँ।

लेकिन मुझे अफ़सोस है कि मैं तुम्हारे माँ बाप को नहीं बचा सकी। इन्ही दोनों ने संपत्ति की लालच में तुम्हारे माँ बाप को जला कर मार दिया।

तुम्हें ज़हर खिला कर मारने वाले थे, मैंने ही उस बिल्ली को भेजा था जिसने उस ज़हरीली खीर को गिरा दिया। अब तुम्हारा गला दबा कर मारने वाले थे।

रोली ने नागिन को धन्यवाद दिया और बोली- मेरी जान बचाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद लेकिन मैं एक चीज़ और माँगना चाहती हूँ।

नागिन पूछी- क्या चाहिए बताओ मैं अवश्य दूँगी। रोली बोली- मैं चाहती हूँ तुम हमेशा मेरे साथ मेरे घर में रहो जिससे मुझे बड़ी बहन भी मिल जाएगी।

नागिन बोली- लेकिन मैं एक नागिन हूँ तुम्हारे साथ रही तो लोगो को परेशानी होगी।

रोली बोली- मैं विश्वास दिलाती हूँ की यह राज हमेशा राज रहेगा, यह कोई भी नहीं जान पाएगा कि तुम नागिन हो।

नागिन भी उसे मना नहीं कर पाई अब दोनों खुशी खुशी एक साथ रहने लगी।

कहानी की सीख-

जनवरो से प्यार करो, वह भी हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा हो सकते है।

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