जैसी करनी वैसी भरनी

जैसी करनी वैसी भरनी

रामपुर गाँव में सोनू नाम का एक किसान रहता था। वो बहुत मेहनती और ईमानदार था। पूरे गाँव में उसकी सब्ज़ी सबसे अच्छी, स्वादिष्ट और सेहतमंद होती थी। उसकी फसल की क़ीमत गाँव के अन्य किसानों से अधिक मिलती थीं।इसलिए गाँव के लोग तथा व्यापारियों में उसका बहुत सम्मान था। इसीलिए श्यामू, सोनू से बहुत जलता था और उसे गाँव के लोगों की नज़र में नीचा दिखाने का अवसर ढूंढता रहता था।

जैसी करनी वैसी भरनी

एक दिन सोनू परेशान होकर सुबह-सुबह गाँव के मुखिया जी के पास गया। और उसने बताया कि सोनू और श्यामू के खेत एक दूसरे के बग़ल में ही हैं और श्यामू ने जानबूझकर मेढ़ काट दी थी, जिससे श्यामू के खेत का सारा पानी सोनू के खेत में भर गया है। यह बात सुनकर मुखियाजी ने सोनू को पंचायत बुलाकर मामला रफ़ा दफ़ा करने का सुझाव दिया सोनू तैयार हो गया। अगले दिन पंचायत बुलायी गई और मुखियाजी ने श्यामू से सोनू के खेत में पानी भरने का कारण पूछा यह सुनते ही श्यामू भड़क गया, और बोला मुखियाजी यह सोनू झूठ बोल रहा है इसने ही मेढ़ काटी होगी। मैं जान बूझकर इसके खेत में पानी क्यों भरूँगा पानी को कौन रोक सकता है वो तो बहता हुआ कहीं भी चला जाता है। यह सोनू बस सबके सामने मेरी बेइज़्ज़ती करना चाहता है और कुछ नहीं।

तब मुखियाजी ने श्यामू के पड़ोसी रामनाथ से कहा रामनाथ तुम्हारा खेत श्यामू के खेत से सटा हुआ है। तुम भी कल अपनी मेढ़ काटकर अपने खेत में पानी भरना यह सुनते ही श्यामू बौखला गया और मुखियाजी से ऐसा न करने को कहा। इस बात पर मुखियाजी ने हँसते हुए बोला क्यों क्या हो गया “पानी ही तो है बहता हुआ कहीं भी चला जाता है” यह सुनते ही श्यामू पंचायत के सामने सोनू से माफ़ी माँगा और दोबारा ऐसा कुछ नहीं करने का वादा किया। गाँव वालों के सामने सोनू से माफ़ी माँगना श्यामू को अपनी बेइज़्ज़ती जैसा लगा और इसका बदला लेने के लिए वह किसी अवसर की तलाश में लग गया।

सब कुछ ठीक चल रहा था अचानक एक दिन सोनू खेत में काम करते करते ज़मीन पर गिर पड़ा यह देखते ही उसकी पत्नी दौड़कर उसके पास गई, जैसे ही उसने सोनू को छुआ उसका शरीर बहुत तेज़ तप रहा था। सोनू को बहुत तेज बुखार था घर आकर वह खात से उठ भी नहीं पा रहा था उसकी पत्नी गाँव के अस्पताल के डॉक्टर साहब को बुलायी डॉक्टर साहब में दवाइयां दी, और सोनू को दस दिन तक पूरी तरह आराम करने का परामर्श दिया। और बताया यह ऐसा बुखार है जो शरीर को तोड़ देता हैं। इसलिए बिस्तर से बहुत ज़रूरी काम से ही उठना जितना आराम करोगे उतनी जल्दी ठीक हो जाओगे। उधर सब्ज़ी काटने का भी समय हो गया था। यही सोचकर सोनू खेत जाने की सोचता है। लेकिन बिस्तर से उठ ही नहीं पा रहा था।हार मानकर बिस्तर पर ही पड़ा रहता है।

अगले दिन व्यापारी गाँव में आता है उसे आते हुए श्यामू देख लेता है। और उससे बात करने के लिए रोकता है श्यामू उससे अपनी फ़सल ख़रीदने का आग्रह करता है लेकिन, व्यापारी मना कर देता है। और श्यामू से कहता है ‘इस पूरे गाँव में सोनू की सब्ज़ियां सबसे अच्छी होती है’ बाज़ार में तीन गुने दाम पर बिक जाती है। तुम्हारी सब्ज़ी तो आधे दाम पर भी नहीं बिकती यह कहकर व्यापारी सोनू के घर चला गया।
सोनू से सब्ज़ियों की तैयारी के बारे में पूछता है सोनू बुखार की वजह से बोल भी नहीं पा रहा था। उसकी पत्नी व्यापारी से उसके बीमारी के बारे में बताती है, व्यापारी भी मज़बूर होता है। उसे सब्ज़ियों की सख़्त ज़रूरत होती है वह सोनू से कहता है। सोनू तुम अपनी सेहत का ध्यान रखो मैं सब्ज़ी किसी और से ख़रीद लूंगा। सेहत है तो सब है।

इतना कह कर व्यापारी श्यामू के पास जाकर बोलता है तुम सुबह अपनी सब्ज़ियाँ बेचने के लिए कह रहे थे, चलो मैं तुम्हारी सब्ज़ी दोगुने दाम पर लेने के लिए तैयार हूँ। यह सुनते ही श्यामू आँखें चमकाकर बोला क्या हो गया भाई तुम तो सुबह बस सोनू की सब्ज़ी ख़रीदने की बात कर रहे थे? अब क्या हुआ? परेशान व्यापारी सोनू की बीमारी के बारे में बताता है यह सुनते ही श्यामू की आंखें चमक उठती है व्यापारी से कहता है भाई तुम परेशान न हो मैं तुम्हें अपनी सारी सब्ज़ियां बेच दूँगा भला मेरे रहते तुम्हारा नुक़सान कैसे हो सकता है।

व्यापारी श्यामू की सारी सब्ज़ियां दोगुने दाम पर ख़रीद लेता है श्यामू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। मन ही मन सोचता है अच्छा है श्यामू की तबियत ख़राब है भगवान करे उसकी तबियत हमेशा ख़राब रहे। दस दिन बाद सोनू को थोड़ा अच्छा महसूस होता है। वह अपनी पत्नी से कहता है, मैं अब बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूँ खेत जाता हूँ, सब्ज़ियां ख़राब हो रही होगी सोनू अपने दो मज़दूरों को लेकर खेत जाता है। और सब्ज़ियाँ काटता है उसकी सब्ज़ियां ख़राब हो रही थी यह देखकर वह अपने मज़दूरों से कहता है कि सब्ज़ियां तो दो-तीन दिन में सड़ने लगेगी तुम दोनों बाज़ार जाकर इन्हें आधी क़ीमत में बेच कर ख़त्म करो नहीं तो खेती की लागत भी नहीं निकलेगी।

मज़दूरों ने अगले दिन सुबह बाज़ार ले जाने को कहा और वहाँ से चले गए। श्यामू दूर से ही सोनू को खेत में देखकर बड़बड़ा रहा था। कि यह सोनू ठीक कैसे हो गया अब मेरी सब्ज़ियां दोगुने दाम पर कैसे बिकेंगी अच्छा होता यह सोनू ठीक नहीं होता।और बिस्तर पर ही मर जाता। इसका तो कुछ करना पड़ेगा। रात में जब गाँव के सब लोग सो जाते हैं तब श्यामू सब से छुपकर सोनू के खेत (जहाँ सारी सब्ज़ियां काटकर रखी थी ) पहुँचता है, और सारी सब्ज़ियों में ज़हरीला पाउडर मिला देता है। वापस आते समय मन ही मन ख़ुश होकर सोचता है।कि अब सोनू को पता चलेगा जब उसकी सब्ज़ियां खाकर सब बीमार पढ़ेंगे, तब कोई व्यापारी इसकी सब्ज़ी नहीं ख़रीदेगा। व्यापारियों में इसकी थू-थू हो जाएगी बड़ा मज़ा आएगा।

अगले दिन श्यामू बाज़ार से गुज़र रहा था देखा एक रेड़ी ( ठेला )पर बहुत भीड़ लगी है, वहाँ जाकर पूछता है क्या हुआ इतनी भीड़ क्यों लगी है? रेड़ी वाला बताता है सोनू भैया की सब्ज़ियां हैं उन्होने आधे दाम पर बेचने को कहा है, इसलिए ख़रीदने वालों की भीड़ लगी है। इतना सुनते ही श्यामू और ख़ुश हो जाता है मन ही मन सोचता है ‘यह तो और अच्छा हुआ जब गाँव के लोगो पता चलेगा कि यह सब्जिया सोनू की थी जिसे खाकर सभी लोग बीमार हो गए हैं सोनू की बहूत बेइज़्ज़ती होगी और पंचायत में कि मेरी बेइज़्ज़ती का बदला भी पूरा हो जाएगा’। बीमार पढ़ने दो कौनसा मेरे घर सब्ज़ियां जाएंगी मेरे घर तो मेरे खेत की सब्ज़ियां ही पकती है। उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था झूमते-झूमते, ख़ुशी-ख़ुशी घर की तरफ चला गया।

अगले दिन सुबह श्यामू और उसके कुछ मित्र खेत में थे। तभी एक बच्चा दौड़ा-दौड़ा आया और अपने पिताजी से बोला पिताजी जल्दी चलिए छोटे भाई की तबीयत बहूत ख़राब है सुबह से उल्टियां कर रहा है। और बुखार भी तेज़ है इतना सुनते ही वह घर की तरफ़ भागा उसके साथ श्यामू भी गाँव की तरफ़ जाने लगा तभी रास्ते में श्यामू की मुलाक़ात मुखियाजी से होती है। मुखियाजी बहुत परेशान लग रहे थे, श्यामू ने उनकी परेशानी का कारण पूछा,उन्होंने बताया गाँव के सभी लोग अचानक से बीमार पड़ रहे हैं। इतना सुनते ही श्यामू तपाक से बोला ऐसा क्या खा लिए सब लोग? उन्होंने बताया कल बाज़ार में आधे दाम पर सब्जिया बिक रही थी लगता है वही खाकर सब बीमार हो गए हैं।

तब तुरंत ही श्यामू ने कहा अरे हाँ कल तो सोनू की सब्ज़ियां आधे दाम पर बिक रही थी कहीं ये सोनू की कोई चाल तो नहीं मुखियाजी मैं आपसे पहले ही बोला था सोनू मक्कार इंसान है, पहले तो वह सारी सब्ज़ियां व्यापारियों को बेचता था। पता नहीं कितनों की जाने लिया होगा। और अब गांवों में भी बेचने लगा। यह सुनते ही मुखियाजी तिलमिला उठे और सोनू के घर की तरफ़ चल पड़े।

श्यामू बहुत ख़ुश था ख़ुशी-ख़ुशी घर पहुँचा तो देखा उसका बेटा ज़मीन पर गिरा हुआ था। और उल्टियां कर रहा था। तब तक उसकी पत्नी बोली देखोजी हमारे बच्चे को क्या हो गया?श्यामू अपनी पत्नी से पूछा यह रात में क्या खाया था? उसकी पत्नी बोली भिंडी की सब्ज़ी खाने की ज़िद कर रहा था और घर में भिंडी की सब्ज़ी नहीं थी तो बाज़ार से आधा दाम पर ख़रीद लाई वही सब्ज़ी खाकर ये बीमार हो गया है। आधे दाम वाली सब्ज़ी का नाम सुनते ही श्यामू के होश उड़ गए और अपने बच्चे को लेकर दौड़कर गांवों के अस्पताल भागा डॉक्टर से बोला जल्दी से मेरे बच्चे का इलाज करिए।

डॉक्टर साहब बोले अस्पतालों में कोई भी बेड ख़ाली नहीं है गाँव के बहुत लोग बीमार हैं मुझे पता नहीं चल पा रहा कि इनको क्या हुआ है? आप अपने बच्चे को लेकर किसी दूसरे अस्पताल या शहर ले जाओ। क्योंकि इसकी जाँच करानी पड़ेगी मेरी दवाइयां काम नहीं कर रही है। जाँच होगी तब पता चलेगा क्या कारण है? तभी दवाइयां दे पाऊँगा तुम यहाँ अपना समय नष्ट मत करो जल्दी से बच्चे को लेकर शहर जाओ। इतने में ही श्याम का बेटा चक्कर खाकर गिर गया और बेहोश हो गया यह देखते ही श्यामू डॉक्टर साहब से बोला डॉक्टर साहब मुझे पता है, ये लोग कौन सा ज़हर खाए हैं और श्यामू डॉक्टर साहब को ज़हर का नाम बताया और उसके पीछे की सारी कहानी बतायी। डॉक्टर साहब ने श्यामू को बताने के लिए धन्यवाद कहा और सभी मरीज़ों का इलाज प्रारंभ कर दिया।

थोड़ी देर बाद डॉक्टर साहब के साथ पुलिस आयी और श्यामू को गिरफ़्तार कर ली। तभी सोनू और मुखिया जी भी वहाँ आ पहुँचे और उन्होंने ऐसा करने का कारण पूछा श्यामू अपने किए पर बहुत शर्मिंदा था। वह सबको बताया मेरे अंदर सोनू के लिए जलन और बदले की भावना थी, सोनू को नीचा दिखाने के लिए मैंने ऐसा काम किया। मुझे अपनी गलती का एहसास हैं, और मैं जेल जाने के लिए तैयार हूँ, आप सभी मुझे माफ़ कर देना। इतना कहते-कहते श्यामू रोने लगा किसी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था। सोनू बोला तुम्हारी एक गलती से पूरा गाँव और तुम्हारा ख़ुद का बेटा घोर संकट में हैं जीने मरने की कगार पर है। जलन की भावना पहले ख़ुद को ही जलाती है। अंत में मुखियाजी ने कहा “जो जैसा करता है उसको वैसा ही मिलता है”
“जैसी करनी वैसी भरनी”

कमेंट करके अपना विचार प्रकट करें