समझदार खरगोश- बच्चों की कहानी

समझदार खरगोश

एक जंगल में बहुत सारे जानवर मिल जुल कर खुशी से रहते थे। किसी से किसी का भय नहीं था। सभी साथ- साथ रहते थे

समझदार खरगोश

एक दिन अचानक जंगल में एक खूँखार शेर आ गया। शेर किसी को कभी भी मार डालता और खा जाता।

उसे जहाँ भी कोई जानवर मिलता था। तुरंत उसका शिकार कर उसे खा जाता। जंगल में ख़ौफ़ का माहौल बन चुका था।

सभी जानवर डर के मारे छुप छुप कर रहने लगे। यह सब देख भालू ने सबको इकट्ठा किया।

उसने प्रस्ताव रखा कि हम सब लोग शेर से मिलने जाएँगे शेर से किसी जानवर को नुक़सान न पहुँचाने का आग्रह करेंगे।

सभी जानवर डरे थे किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि शेर के सामने जा सके। लेकिन भालू और बंदर के ज़ोर देने पर सभी राजी हो गये।

सारे जानवर शेर से मिल कर बात करने के लिए चल दिये। थोड़ी देर बाद सभी शेर की गुफा के पास पहुँच गये।

कुछ देर बाद शेर गुफा से बाहर निकला। सबको एक साथ देख कर पूछा- भालू यहाँ क्या करने आए हो?

भालू बोला- शेर तुम हमारे जंगल के सभी जनवरो को क्यों मार रहे हो? जो मिलता है उसे काट खाते हो। तुम इतने क्रूर कैसे हो सकते हो?

तुम्हें दया नहीं आती जंगल के मासूम जनवरो को मारते हो? शेर हसते हुए बोला- भालू मैं तो समझता था,

तुम समझदार हो लेकिन तुम तो बिलकुल पगलो कि तरह बात कर रहे हो।

अगर मैं जानवरों को नहीं मारूँगा तो क्या खाऊँगा? चले जाओ यहाँ से नहीं तो अभी एक एक करके सबको मौत के घाट उतार दूँगा।

उसको सांत करने के लिए भालू बोला- ठीक है अगर तुम्हें यही चाहिए तो हर दिन सुबह दस बजे कोई एक जानवर तुम्हारे पास चल कर आएगा।

उसे खाकर तुम अपनी भूख मिटा लेना। लेकिन उसके बाद तुम किसी अन्य जानवर की तरफ़ आँख उठा कर भी नहीं देखोगे।

शेर ख़ुशी खुशी मान गया। क्योकि अब बिना मेहनत किए शिकार मिलने वाला था।

उसके बाद हर दिन सुबह दस बजे जिस जानवर की बारी होती थी वह शेर के पास जाता था। शेर उन्हें मारकर खा लेता था।

एक दिन ख़रगोश की बारी आयी लेकिन ख़रगोश जान बुझ कर तीन घण्टे देर से पहुँचा। जब वह शेर के पास पहुँचा, शेर को बहुत तेज भूख लगी थी।

उसने ग़ुस्से में ख़रगोश से पूछा- तुम इतनी देर करके क्यों आये? अब तो तुम्हें खाने से मेरी भूख भी नहीं मिटेगी।

ख़रगोश माफ़ी माँगते हुए शेर से कहा- महाराज मैं छोटा जानवर हूँ जिसे खाकर आपकी भूख नहीं मिटती, इसीलिए भालू काका ने मेरे साथ मेरे भाई को भी भेजा था।

लेकिन रास्ते में हमे आपसे भी बलवान एक शेर मिला। उसने मेरे भाई का शिकार कर लिया।

मैंने उसे आपके बारे में भी बताया फिर भी उसने मेरी एक न सुनी और मेरे भाई का शिकार कर लिया।

यह सुनते ही शेर आग बबूला हो गया और ख़रगोश से बोला- मुझे उसके पास ले चलो मैं भी देखु मेरे जंगल में दूसरा शेर कहा से आ गया?

ख़रगोश और शेर दोनों चल पड़े। ख़रगोश शेर को एक गहरे और पानी से भरे कुँए के पास ले गया और बोला महाराज वो ख़ूँख़ार शेर यही रहता हैं।

शेर कुँए में देखा तो उसकी परछाई दिखी। ऊपर से यह गरजा, परछाई में देखा की वो भी ग़ुस्से में दहाड़ रहा हैं।

शेर आव देखा न ताव उसे मारने के लिए कुँए में कूद पड़ा। उसी में डूब कर मर गया। ख़रगोश की समझदारी ने जंगल के सभी जनवरो को शेर का शिकार होने से बचा लिया।

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