बंदर और शेर की कहानी

बंदर और शेर की कहानी

एक जंगल में एक विशाल पीपल के पेड़ पर एक बंदरों का झुण्ड रहता था। बब्लू उनकी झुंड का सरदार था।

बंदर और शेर की कहानी

बब्लू बहुत मूर्ख था लेकिन ख़ुद को बहुत समझदार मानता था। सारे बंदरों पर अपना हुक्म चलता था।

जब भी कोई बंदर अपना निजी घर बनाने को कहता था बब्लू उन्हें तुरंत ऐसा करने से मना कर देता था।

उनकी ही झुंड का एक बंदर मनकू, सरदार से बोला सरदार अब ये धूप और गरम हवाएँ बहुत परेशान करने लगी हैं।

मुझे अब अपना घर बनाना है। बब्लू बहुत नाराज़ हुआ और बोला हम बंदर है, बेवक़ूफ़ आज तक हमारे पूर्वजों ने घर नहीं बनाया।

और तुम घर बनाने की बात कर रहे हो? ऐसा करके मैं अपने पूर्वजों का अपमान नहीं होने दूँगा।

तुम क्या हमारी झुंड का कोई बंदर अपना घर नहीं बनाएगा। अगर किसी ने ऐसा किया तो मैं उसे इस झुंड से बर्खास्त कर दूँगा।

सभी बंदर डर गये। दोबारा किसी ने घर बनाने की बात नहीं की।

ऐसे ही समय बिताता रहा, गर्मी के बाद अब बरसात का मौसम आ गया।

एक दिन तेज़ तूफ़ान आया। बारिश के साथ साथ हवा भी बहुत तेज़ चल रही थी।

उस तूफ़ान में बहुत सारे पेड़ गिर गये। उनके साथ साथ बंदरों का पेड़ भी जड़ से उखड़ गया।

सभी बंदर टूटे हुए पेड़ पर ही रात बिताये। पूरी रात बारिश में भींगे। सुबह हुई तब बारिश बंद हुई।

बारिश बंद होने के बाद सभी बंदरों ने सरदार से बोला सरदार मनकू सही कहता था, हमे अपना घर बना लेना चाहिए था।

अब तो हमारा पेड़ भी टूट गया। बारिश में हमारा कोई ठिकाना नहीं है हमे अब कोई बंदोबस्त करना पड़ेगा।

सरदार बोला तुम सब पागल हो चुके हो बंदर भला घर बनाता है क्या? बंदर कभी घर नहीं बनाते।

चलो कही ख़ाली गुफा ढूढ़ो उसी में रहेंगे। सारे बंदर गुफा की तलाश में निकल गये।

ढूढ़ते ढूड़ते सभी बंदर पहाड़ पर चले गये। बहुत देर ढूढ़ने के बाद उन्हें एक गुफा मिली।

उस गुफा में एक शेर रहता था। वह शिकार की तलाश में गया था। बंदरों को लगा इसमें कोई नहीं रहता हैं।

सारे बंदर गुफा में चले गये। अंदर जाकर देखा तो बहुत सारी हड्डियों का ढेर लगा था।

मनकू बोला सरदार ये तो किसी खुख़ार जानवर की गुफा लगती हैं। इसमें ज़रूर कोई शेर या भेड़ियाँ रहता होगा।

बब्लू बोला बेवक़ूफ़ यह गुफा पहले किसी की भी हो अब ये हमारे क़ब्ज़े में है।

यह गुफा अब हमारी हो चुकी हैं। जिसकी रही होगी वह अपनी व्यवस्था करेगा तुम चिन्ता क्यों करते हो?

सभी बंदर आराम करने लगे। थोड़ी देर बाद शेर अपना शिकार लेकर आया।

उसने देखा उसकी गुफा में ढेर सारे बंदर चौकड़ी लगा रहे। उसने पूछा बंदरों तुम मेरी गुफा में क्या कर रहे हो?

सरदार बंदर बोला शेर अब ये गुफा हमारी है तुम अपना बंदोबस्त कही और करो।

इतना सुनते ही शेर गरजते हुए बोला मूर्ख बंदर गुफा में नहीं पेड़ पर रहते है।

गुफा के बाहर एक बरगद का पेड़ है जाओ वहाँ रहो। जल्दी से मेरी गुफा ख़ाली करो।

उसकी दहाड़ सुनते ही आधे से अधिक बंदर भाग खड़े हुए। सबको भागता देख सरदार भी वहाँ से बाहर चला गया।

शेर आराम से मांस खाया और थके होने के कारण जल्दी ही सो गया।

सारे बंदर पास के बरगद के पेड़ पर चले गये। कुछ बंदरों ने सरदार से कहा- सरदार कही और चलके अपना ठिकाना ढूढ़ते है।

सरदार बोला- तुम सब परेशान मत हो शेर तो एक ही है और हम लोगो ढेर सारे है।

शेर को इतना परेशान करेंगे कि वह ख़ुद ही भाग जाएगा।

शेर सो रहा होगा उसको परेशान करने का यही सही समय है। चलो उसको परेशान करते हैं।

कुछ बंदर सरदार की बातों में आ गये। वे चुपके से गुफा में गये और देखे कि शेर सो रहा है।

कोई शेर की पीठ पर कूदने लगा, कोई उसकी पूँछ खिच रहा था, कोई उसके पंजे में गुदगुदी कर रहा था।

शेर आँखें खोल कर सबको देखा और बिना कुछ बोले करवट बदल कर दोबारा सो गया।

बहुत देर हो गई सारे बंदर थक गये। थक कर वापस पेड़ पर चले गये। यही शिलशिला लगभग दस दिन तक चलता रहा।

अब सारे बंदर उसको परेशान करते करते ख़ुद परेशान हो गये। अब वे शेर को परेशान करने नहीं जा रहे थे।

दो दिन बाद जब शेर ने देखा कि उसको परेशान करने अब कोई नहीं आ रहा है, तो उनसे पूछने पेड़ के पास पेड़ के पास जाकर बोला-

अब तुम लोग मेरी गुफा में क्यों नहीं आते हो?

बब्लू बोला राजा साहब हम आपको परेशान करने आते थे लेकिन आप परेशान नहीं होते थे।

आपको परेशान करने के चक्कर में हम लोग ही परेशान हो गये।

उनकी बात सुनते ही शेर ठहाके मार कर हसने लगा और बोला- तुम लोग मुझे परेशान करने आते थे क्या?

मैं तो शिकार के चक्कर में थका हुआ आता था और जब तुम सब मेरे शरीर पर उछल कूड़ करते थे|

तब मुझे बहुत आराम मिलता था। पूरे दिन की थकान मिट जाती थी।

थोड़ी देर बात करने के बाद शेर बोला मैं इस गुफा में बहुत दिन से रहता हूँ।

अब इसमें रहने का मेरा मन नहीं करता हैं। गुफा छोड़ कर मैं अब जंगल में जा रहा हूँ।

तुम लोग अब इस गुफा में रह सकते हो। इतना कह कर वह जंगल में चला गया।

सभी बंदर अब हर मौसम में आराम से गुफा में रहने लगे

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