हिरण और भालू – सच्ची दोस्ती की कहानी

हिरण और भालू - सच्ची दोस्ती की कहानी

बहुत पुरानी बात है। एक विशाल जंगल में बहुत से पशु पक्षी रहते थे। उनके बीच हीरा नाम का एक हिरण रहता था। नाम से तो हीरा था ही, काम से भी हीरा था। वह बहुत ही मेहनती, सबसे मिल जुल कर रहने वाला और सबका भला सोचने वाला था। वह जंगल में सबका ध्यान रखता था। जंगल में किसी की तबियत ख़राब होने पर वह उसका हाल चाल लेता और जब तक वे पूरी तरह ठीक न हो जाये उनको उचित उपचार भी देता था। उसका सबसे अच्छा मित्र एक भालू था। वह जहाँ भी रहता था, चारो तरफ़ हरियाली फैलाए रखता था। उसकी मेहनत का अंदाज़ा उसके इलाक़े की हरियाली देख कर लगाया जा सकता हैं। उसके इलाक़े में चारों तरफ़ हरियाली होती थीं। हर प्रकार के फ़ुल, फल और हरी भरी घासें रहती थी।

हिरण और भालू - सच्ची दोस्ती की कहानी

एक बार हीरा ख़ुद ही बीमार पड़ गया। वह इतना बीमार था कि ख़ाना पीना तो छोड़ो उठ भी नहीं पा रहा था। उसने स्वयं से कुछ जड़ी-बूटियां खाकर अपना इलाज प्रारंभ किया, फिर भी उसकी तबीयत ठीक नहीं हो रही थीं। उसकी बीमारी की ख़बर जंगल में आग की तरह फैल गई, लेकिन न ही कोई उसका दोस्त मिलने आया न ही कोई दवा देने आया। सब तो सब उसका भालू दोस्त भी नहीं आया। हीरा सोचने लगा, क्या मेरा कोई सच्चा मित्र नहीं हैं? मैंने तो हमेशा सबके सुख-दुख में साथ दिया हैं। फिर मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा हैं? औषधियाँ तो दूर मुझे देखने भी कोई नहीं आया।

वह अपनी जगह से उठने की हालत में भी नहीं था, मन बहुत बिचलित होने के कारण वह उठकर कुछ दूर टहलना चाहा। टहलते टहलते उसने देखा उसके इलाक़े में दो हिरण और हरी-भरी घास खा रहे थे। उन्होंने जब हीरा को देखा। देखते ही दिखावटी मुस्कान के साथ हीरा से बोले- हम तुमसे ही मिलने आये हैं दोस्त। अब तुम्हारी तबियत कैसी है? हमने सुना तुम बीमार हो तो हमसे रहा नहीं गया और हम तुमसे मिलने आ गए। हीरा बोला- इतने दिनों से घरेलू उपचार कर रहा हूँ, लेकिन कोई सुधार नहीं है। लगता हैं दूसरी दवा लेनी पड़ेगी।

दोनों हिरणों ने कहा, हाँ कोई दूसरी दवा ले लो और आराम करो। हम चलते हैं। इतना सुन कर हीरा निराश मुड़कर अपने घर को चला गया। उधर दोनों हिरण हरी-हरी घास खाने में लग गये। दोनों आपस में बात करने लगे, इस जगह के बारे में जितना सुना था उससे बहुत अच्छी जगह है। यहाँ जैसी सुंदर जगह पूरे जंगल में कहीं नहीं है। हम रोज़ हीरा को देखने के बहाने आएंगे और यहाँ भर पेट ख़ाना खाकर वापस चले जाएँगे। हीरा के बाग जैसी पूरे जंगल में कोई बाग नहीं है। उसने बहुत मेहनत से बनाया है। यहाँ की हरियाली देखकर आँखें धन्य हो गई और स्वादिष्ट फल खा कर जीभ और पेट धन्य हो गये। चलो पेट भर खा लेते हैं।

कल हीरा से मिलने के बहाने फिर आएंगे। दूसरा हिरन बोला- मुझे हीरा की तबियत से कोई लेना देना नहीं हैं? मैं तो बस यहाँ की हरियाली देखकर आया था। मैं भी तुम्हारे साथ कल फिर यहाँ आऊँगा। दोनों हिरण भर पेट भोजन करके वहाँ से चले गए। अपने इलाक़े में जाकर हीरा की बगिया की तारीफ़ करने लगे। सबसे बोले- आज तक हम लोग यहाँ सुखे पत्ते खाकर अपना गुजारा करते थे, लेकिन वहाँ हीरा ने तो बहुत ही सुंदर और हरे भरे पेड़ पौधों, रसीले फलो का बहुत सुंदर उपवन तैयार किया है। हमे वहाँ जाने का भी बहुत अच्छा अवसर है हीरा की तबीयत ख़राब है हम सारे उसकी तबीयत पूछने के बहाने जाकर वहाँ अपने पेट की भूख सांत कर सकते हैं।

बहुत सारे हिरणों ने ऐसा करने के इरादे से टोली बनाई। सारे हिरण हीरा का हाल चाल पूछने के लिए पहुँच गए। भोला भाला हीरा उनकी चाल समझ नहीं पाया। वह बहुत खुश हो गया। ढेर सारे हिरणों को एक साथ देखकर उसका मन गद गद हो गया सबने उसका हाल चाल पूछा। और सबने ठीक होने की दिखावटी दुआ भी माँगी। उसके बाद का नज़ारा देखकर हीरा की आँखें खुली कि खुली रह गई। उसने देखा सारे हिरण उसके इलाक़े की हरी घास, फल खाने में मगन हैं। उनके पास सर हिलाकर देखने की भी फ़ुरसत नहीं थी। ना ही हीरा के पास कोई बैठना चाहता है। हीरा को बहुत दुःखी हुआ।वह समझ गया कि यह लोग यहाँ हाल चाल पूछने नहीं बल्कि अपनी पेट पूजा करने आये है।

अगर यही हाल रहा तो मेरे इलाक़े की सारी घास ख़त्म हो जाएगी और अगर मैं बीमारी से बच भी गया तो भूखे मर जाऊँगा। कुछ देर बाद हीरा का बहुत अच्छा मित्र भालू वहाँ आया। भालू हीरा से छमा माँगते हुए बोला- मित्र मुझे माफ़ करना। मुझे जब पता चला तुम इस जंगल की जड़ी बुटियो से ठीक नहीं हो रहे हो तो मैं दूसरे जंगल के बैध से तुम्हारे लिए दावा लेने चला गया था। इसीलिए मुझे आने में देर हो गई। यह दवाइयां खा लो बैध जी बताया है तुम ज़ल्दी ही ठीक हो जाओगे। हीरा ने औषधीयाँ खाई और सच में उसे कुछ समय बाद आराम मिलने लगा।

उसका भालू दोस्त उसके साथ ही रुका रहा उसकी सारी दवाइयाँ समय समय पर देता रहा। भालू ने हीरा की बहुत अच्छी देख भाल की जिसकी वजह से दो दिन बाद हीरा की तबियत ठीक हो गई। लेकिन उसका सुंदर उपवन उजड़ सा गया था। उसके मतलबी दोस्तों ने वहाँ की सारी हरियाली खत्म कर दी थी। उसके खाने के लिए न कोई घाँस थी न कोई फल बचा था। उसकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया था। हीरा बहुत उदास हो गया। उसको उदास देख भालू बोला- हीरा मैं जानता हूँ, इस संसार में बहुत मतलबी लोग रहते है। सबका प्यार और दोस्ती बस एक दिखावा है।

अपने फ़ायदे के लिए ये लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। तुम चिंता मत करो हम दोनों मिलकर मेहनत करेंगे और यहाँ पर फिर से हरी भरी घास उगाएँगे, ढेर सारे फल लगाएंगे और एक नई दुनिया बनाएँगे।
“मतलब के दोस्तों से दूर रहना चाहिये”

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