आकाशिय बिजली कैसे/क्यूँ गिरती है और सावधानी कैसे रखें

बारिश के समय कैसे गिरती है- आकाशिय बिजली

कैसे गिरती है बिजली – आईये समझते है आसान भाषा मे!

दुनिया में सबसे अधिक होने वाली प्राकृतिक घटना बिजली का गिरना होता है। देखा जाये तो बिजली का गिरना और बिजली का चमकना दो अलग अलग चींजे है। बिजली अगर आकाश में ही रह जाती है तो उसे बिजली का चमकना या गरजना कहते है।
लेकिन बिजली अगर आसमान से नीचे धरती के किसी वस्तु या ज़मीन पर गिरती है तो उसे बिजली का गिरना कहते है।
बिजली का गिरना या गरजना समझने के लिये हमे कुछ बातों का जानना ज़रूरी है।
यह समझने के लिए हमे STATIC CHARGE (स्टैटिक चार्ज) को समझना होगा।

बारिश के समय कैसे गिरती है- आकाशिय बिजली

दुनिया के हर चीज का सबसे बुनियादी बिल्डिंग ब्लॉक परमाणु (atom) होता है। मतलब की अगर किसी पदार्थ को परमाणु तक विखंडित किया जाये, तो उस हर एक विखंडित परमाणु में उसी पदार्थ के गुण मिलेंगे जो वो मूल था।
जैसे चाँदी को अगर परमाणु तक विखंडित कर दिया जाये तो भी उसका हर एक परमाणु चाँदी ही कहलाएगा। लेकिन अगर परमाणु को भी विखंडित किया जाये तब वह चाँदी नहीं कहलाएगा।

हर परमाणु में तीन चीजें होती है – प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन। जिसमें न्यूट्रॉन तो न्यूट्रल यानी बिना किसी चार्ज के होता है। वही प्रोट्रान Positive Charge (धनात्मक) तथा इलेक्ट्रान Negative Charge (ऋणात्मक) होता है।

इसीलिए सामान्य परिस्थितियों में किसी भी चीज का Charge शून्य रहता है। लेकिन जब दो वस्तुयें एक दूसरे से घर्षण करती है तब उस दशा में कोई एक वस्तु के इलेक्ट्रान दूसरी वस्तु में स्थानांतरित हो जाते है और अपने साथ थोड़ा थोड़ा Negative Charge लेकर चले जाते है। जिसके चलते दोनों पदार्थो में चार्ज इकट्ठा हो जाता है, जिसमें इलेक्ट्रान स्थानांतरित होते है वह पदार्थ Negatively Charged हो जाता है और जिस पदार्थ में से इलेक्ट्रान निकलते है वह Positively Charged हो जाता है।

यही कारण है कि जब हम कंघी से अपने बाल संवारते है तब कंघी के कुछ इलेक्ट्रान बालों में चले जाते है। इसीलिए जब कंघी जीरो चार्ज वाले कागज के संपर्क में आती है तब कागज उससे चिपकने लगते है। क्योकि कंघी Positively Charged हो गया होता है इसी कारण कागज के टुकड़ों के इलेक्ट्रॉन कंघी में आना चाहते हैं।
इसी तर्ज़ पर बिजली चमकना या बिजली गिरना काम करता है।

बादल बनने की प्रक्रिया कैसे होती है इसे समझते है

जब समुद्र या नदी का पानी गर्म होकर भाप के रूप में बदल जाता है तब वह ऊपर जाकर ठंडा हो जाता है और पानी की छोटी छोटी बूँदों में इकट्ठा हो जाता है और बादल का रूप ले लेता है।
यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। बादल बनते रहते है। बादल का ऊपरी हिस्सा तो इतना ठंडा हो जाता है कि उसमे छोटे छोटे बर्फ के टुकड़े बन जाते है।
बादल में पानी के कड़ एक दूसरे से घर्षण करते रहते है जिसके कारण कुछ कड़ अपना इलेक्ट्रान दूसरे कड़ों में स्थानांतरित कर देते है।
जिन कड़ों में इलेक्ट्रान स्थानांतरित होते है वह Negatively Charged होने के साथ साथ भारी हो जाते है और बादल के निचले हिस्से में आ जाते है।
जो कड़ Positively Charged होते है वह हल्के होने के साथ साथ बादल के ऊपरी भाग में रहते है।
इसीलिए बादलों के निचले भाग में Negative Static Charge बन जाते है।
यह बात भी समझना ज़रूरी है कि जैसे हमारे घरों में बिजली आती है, जिससे हमारे बल्ब और अन्य उपकरण चलते है। ठीक वही बिजली आसमान से भी गिरती है या चमकती है।
बिजली के चलने का मतलब होता है इलेक्ट्रान की गति का होना।

बिजली का कड़कना या चमकना तीन प्रकार का होता है

1- INTRA Cloud (इंट्रा क्लाउड)

जब एक ही बादल के कड़ों के बीच इलेक्ट्रान का आदान प्रदान होता है, उससे बिजली उत्पन्न होती है उसे इंट्रा क्लाउड बिजली कहते है।

2- CLOUD TO Cloud (दो बादलों के बीच)

जब दो बड़े बादल एक दूसरे के क़रीब आते है, उनमे जब इलेक्ट्रान का आदान प्रदान होता है ऐसी स्थिति में भी बिजली बनती है जिसे दो बादलो के बीच बिजली चमकना कहते है।
इन दोनों प्रकार में जब बिजली चमकती है। हमे पृथ्वी से इसके कड़कने की आवाज़ सुनाई देती है। इन दोनों परिस्थितियों को बिजली का कड़कना या चमकना कहते है।

3- Cloud to Earth (बादल से पृथ्वी पर)

ये समझने से पहले हमे यह समझना होगा की जब किसी पदार्थ में किसी भी प्रकार से शक्ति संग्रहित हो जाती है, वह पदार्थ अपनी शक्ति को कही न कही स्थानांतरित करना चाहती है जिसे Energy Discharge कहते है।
ऐसे ही जब बादलों में एनर्जी इकट्ठा हो जाती है तब वह Discharge होने के लिए किसी Medium की तलाश में पृथ्वी पर आती है। इसी प्रक्रिया को बिजली का गिरना कहते है।
हालांकि यह जानकारी पूरी नहीं है। बिजली के गिरने की प्रक्रिया पर अभी भी वैज्ञानिकों की खोज चल रही है।

अब समझते है कि बिजली कितनी ख़तरनाक है और हम बिजली से कैसे बच सकते है।

  • आसमान से गिरने वाली बिजली ठीक वैसी ही है जैसी हमारे घरों में आती है।
  • आकाशिय बिजली में लगभग पाँच करोड़ वॉल्ट की पॉवर होती है।
  • हमारे घर की बिजली ही बहुत नुक़सान कर सकती जिसमें मात्र 440 वॉल्ट शक्ति होती है। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आसमानी बिजली कितनी ख़तरनाक होती है।
  • हालाकि आसमानी बिजली सेकेंड के हजारवे से पाँच सौवे भाग तक ही रहती है लेकिन उतने समय में जीव जन्तुओं की जान ले सकती है।
  • जब भी बरसात होती है और बिजली चमकती है तो हमे बारिश में रहने से बचना चाहिए और किसी ढकी हुई जगह पर रहना चाहिए।
  • लोहा या किसी प्राकृतिक चीज जैसे पेड़ आदि का सहारा लेकर खड़ा नहीं होना चाहिए।
  • यह भी सत्य है कि बिजली गिरने से केवल दस प्रतिशत लोग ही मरते है। परन्तु शरीर में अन्य विसंगतियाँ आ सकती है जैसे – अपाहिज होना, मानसिक रूप से कमजोर होना।

यह जानकारी अगर आपको अच्छी और काम की लगी हो तो इसे दूसरे लोगो तक भी पहुचाएँ।

धन्यवाद।

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