हिरन और मगरमच्छ की कहानी

मगरमच्छ और हिरन

एक उपवन में जीवन बहुत सुंदर था। वहाँ के सभी जीव जन्तु मिल जुल कर रहते थे। जंगल में ही एक तालाब था। उस तालाब में हंश, मेढक, मछलियाँ और बहुत सारे जीव रहते थे। सारे जानवर बहुत मिलनसार थे, उनके बीच एक मंटू नाम का मगरमच्छ भी रहता था। मंटू को अपने बल पर बहुत घमंड था। उसे लगता था, पानी में कोई उससे ताक़तवर जीव नहीं है। वह ख़ुद को पानी का राजा समझता था। वह सबसे अकड़कर बात करता था।

एक दिन एक चिड़िया पेड़ पर बैठकर फल खा रही थी। फल का कुछ टुकड़ा गलती से तालाब में गिर गया। यह बात मंटू मगरमच्छ को पसंद नहीं आयी। उसे ग़ुस्सा आया, वह चिड़िया पर चिल्लाने लगा। बोला ‘चिड़िया तेरी हिम्मत कैसे हुई अपना जुठा गिराने की’। चल भाग यहाँ से। चिड़िया बेचारी डरकर वहाँ से चली गई। चिड़िया के जाने के बाद बंटी भालू तालाब में पानी पीने आया। उसे देख मंटू बोला, बंटी तुम अपने गंदे मुँह से मेरा तालाब गंदा कर रहे हो, अपना गंदा मुँह लेकर निकल जाओ यहाँ से। भालू बोला मंटू भाई यह तालाब सिर्फ़ आपका नहीं पूरे जंगल का है, और इसमें पानी पीने के लिए आप किसी को रोक नहीं सकते।

मगरमच्छ ग़ुस्से में बोला यह तालाब सिर्फ़ मेरा है, तुम लोगों को इस तालाब का पानी पीने को मिल रहा है, इस बात का एहसान मानना चाहिए। जाओ यहाँ से और अपने राजा से कह दो कि तालाब के राजा ने ऐलान किया है, तालाब में जो भी पानी पीने आएगा उसे लगान देना पड़ेगा। ऐसा नहीं करने पर उसे पानी पीने से बहिष्कृत किया जाएगा। फिर क्या था, बेचारे सभी जानवर तालाब जाने से पहले लगान ले जाने लगे। कोई ताज़े रसीले फल ले जाता, कोई मिश्री के ढेले। मंटू मज़े से खाता और राजा की तरह आराम फ़रमाता। यह सब मंटू को बहुत पसंद आता था। उसका जीवन मज़े से बीत रहा था।

ऐसे ही दिन बीत रहे थे एक दिन चिंटू हिरण को बहुत तेज प्यास लगी थी। उसने माँ से कहा, माँ तालाब चलो मुझे पानी पीना है बहुत ज़ोर की प्यास लगी है। माँ ने कहा बेटा आज मंटू को लगान देने के लिए हमारे पास कुछ नहीं है। थोड़ी देर और बर्दाश्त करो अंधेरा होने पर हम तालाब जाएंगे और तुम पानी पी लेना। अंधेरा होने पर दोनों तालाब गये चिंटू जल्दी जल्दी पानी पीने लगा। पानी में हुई हलचल से मंटू की नींद खुली और देखा कि चिंटू हिरण पानी पी रहा है। चिंटू को वहाँ देख मंटू आग बबूला हो गया। बोला क्यों रे तेरा इतना दुस्साहस तुने राजा के तालाब से पानी चोरी करने की जुर्रत की। अब देख तुझे सबक़ सिखाता हूँ।

मंटू, चिंटू हिरण पर झपट पड़ा। यह सब माँ हिरण देख रही थी। जैसे ही मंटू, चिंटू पर झपटा माँ हिरण बीच में आ गई। चिंटू को तो बचा लिया लेकिन ख़ुद मगरमच्छ के जबड़े में फँस गई। यह देख चिंटू ज़ोर ज़ोर से चीखने लगा। उसकी चीख सुनकर आस पास के सभी जानवर इकट्ठा हो गए। माँ हिरण को आज़ाद कराया लेकिन चोट बहुत गहरी थी। माँ हिरण दर्द से कराह रही थी। उसको असहनीय दर्द हो रहा था। चिंटू से बोली चिंटू बेटा लगता है अब मेरा जाने का समय हो गया। चिंटू रोते हुए बोला नहीं माँ तुम चली जाओगी तो मुझे प्यार कौन करेगा? कौन मेरी गलतियों पर मुझे डांटेगा? माँ मुझे छोड़कर मत जाओ।

चिंटू को बिलखता देख माँ ने कहा, बेटा मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी। तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगी। चिंटू को आशीर्वाद देते देते उसकी माँ ने हमेशा हमेशा के लिए आंखें बंद कर ली। चिंटू बहुत दुखी हुआ। सबकी आँखों से आँसू छलक पड़े।

एक दिन चिंटू खाने की तलाश में जा रहा था। तभी उसने देखा एक गाय का बछड़ा मोटे पेड़ की डाली के नीचे दबा हुआ है। बछड़े को दबा देख चिंटू बोला काश़ मैं भी हाथी चाचा जितना ताक़तवर होता। तो इस डाली को चुटकी में हटा देता। काश़ ये डाली हट जाए। उसके इतना कहते ही डाली अपने आप दुर जा गिरी। ऐसा होते देख चिंटू बहुत अचम्भित हुआ। उसे अपनी माँ की बातें याद आयी। जिन्होंने कहा था कि वह चिंटू का साथ कभी नहीं छोड़ेंगी। हमेशा उसके साथ रहेंगी। वह समझ गया यह सब माँ के आशीर्वाद के कारण हो रहा है। बस फिर क्या था चिंटू जंगल के सभी जानवरों की मदद करने लगा।

एक दिन बहुत ज़ोर का भूकंप आया और पहाड़ से बड़े बड़े पत्थर टूटकर गिरने लगे। बड़े बड़े पेड़ भी गिर पड़े। भूकंप ख़त्म होते ही सभी जानवर एक दूसरे की मदद करने लगे। कोई टूटे पेड़ों को हटा रहा था। कोई पत्थरों को हटा रहा था। चिंटू भी अपने जादू से बड़े बड़े पेड़ और पत्थर हटाने लगा। तभी तालाब से किसी के कराहने की आवाज़ आने लगी। सभी तालाब की तरफ़ चल पड़े। जाकर देखा तो मंटू मगरमच्छ एक बड़े से चट्टान के नीचे दबा हुआ था। दर्द के मारे कराह रहा था। सभी से मदद करने की गुहार लगा रहा था। लेकिन कोई भी जानवर उसकी मदद करने के लिए आगे नहीं आया। चिड़िया बोली इस दुष्ट के साथ ऐसा ही होना था अच्छा होगा जो ये चट्टान के नीचे दबकर मर जाए।

भगवान ने इसे अच्छी सजा दी है। इतने में ही भालू बोल पड़ा ख़ुद को बहुत बलवान समझते थे न चलो अब इस चट्टान को अपने ऊपर से हटाकर दिखाओ। देखते हैं तुम कितना बलवान हो। अब दम है तो ख़ुद को आज़ाद करा लो। ऐसे ही सभी जानवर मंटू की गलतियाँ निकाल रहे थे और उसे कोंश रहे थे। मंटू मदद की गुहार लगाता रहा, लेकिन कोई मदद करने आगे नहीं आया। लेकिन चिंटू आगे आया और पत्थर को जादू से हटा दिया। यह देख मंटू को अपनी गलती का एहसास हुआ। मंटू बोला चिंटू बेटा मेरी वजह से तुम्हारी माँ तुम्हें छोड़कर चली गई, लेकिन फिर भी तुमने मुझे बचाया काश़ मैं भी तुम्हारे जितना बड़ा दिल रखता तो आज तुम्हारी माँ तुम्हारे साथ होती। बाक़ी जानवरों को भी परेशान नहीं होना पड़ता।

मंटू मगरमच्छ ने सभी जानवरों से माफ़ी माँगी। और फिर सभी एक दूसरे के साथ मिल जुलकर रहने लगे।
“कभी भी ख़ुद को बलवान और दूसरों को कमज़ोर मत समझो।”

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