मूर्ख गधा – बच्चों की कहानियाँ

मुर्ख गधा

एक बार की बात है। एक जंगल में एक शेर और लोमड़ी रहते थे। लोमड़ी शेर के साथ इसलिए रहती थी क्योकि जब शेर शिकार करेगा तब उसे भी भोजन मिलता रहेगा। एक दिन दोनों शिकार के लिए जंगल में निकले उन्हें एक घांस खाते हुए हाथी दिखा। हाथी को नहीं पता था कि कोई उसका शिकार करने आ रहा है। दोनों चुप-चाप हाथी के पास गए। लेकिन हाथी को उनके आने का एहसास हो गया। वह पीछे मुड़कर देखा। शेर को देखते ही हाथी को पता चल गया कि शेर उसका शिकार करने आ रहा है।

वह तेजी से दौड़ने लगा और चिल्लाते हुए भागने लगा। शेर हाथी के पीछे और लोमड़ी शेर के पीछे भाग रहे थे। हाथी इतना तेज़ दौड़ रहा था कि धरती हिल रही थी, मानो भूकंप आ गया हो। शेर बहुत फुर्तीला था। वह हाथी का पीछा करते-करते उसके आगे निकल गया और उसके आगे आकर खड़ा हो गया। शेर को सामने खड़ा देख हाथी डर गया और रुक गया।

लोमड़ी बोली देख क्या रहे हो हमला करो। शेर ने जैसे ही हाथी पर हमला किया, हाथी भी तैयार था, उसने भी जवाब में शेर पर हमला किया। हाथी का हमला इतना ज़बरदस्त था कि शेर की कई हड्डियाँ तोड़ दी। शेर दर्द से कराहता हुआ ज़मीन पर गिर जाता है। उठ भी नहीं पता। शेर को सामने गिरा देख हाथी उसके पास आता है, अपने विशाल पैरों से उसे कुचलने वाला ही होता है, तभी गिड़गिड़ाते हुए लोमड़ी बोलती है। हाथी महाराज इसे माफ़ कर दो, इसे आपकी ताक़त का एहसास हो गया है। अब तो यह बहुत घायल भी हो चूका है, दोबारा किसी जानवर पर हमला नहीं करेगा। यह कहते कहते लोमड़ी रोने लगती हैं।

लोमड़ी के मगरमच्छ वाले आंसू देख हाथी को दया आ जाती है। वह शेर को छोड़कर अपने रास्ते चल देता है। शेर को अफ़सोस हो रहा था कि उसे हाथी पर हमला नहीं करना चाहिए था। शेर उसी जगह पड़ा हुआ दर्द से कहर रहा था। जिसकी वजह से लोमड़ी को नींद नहीं आ रही थी। लोमड़ी शेर से कहती है। शांत रहो तुम्हारी वजह से एक तो शिकार निकल गया दूसरा तुम मुझे सोने भी नहीं दे रहे हो। सुबह से मांस का एक निवाला अंदर नहीं गया है। पेट में चूहे कूद रहे है बहुत तेज भूख लगी है। जाओ दोस्त शिकार करो।

शेर बोला तुम्हें दिख नहीं रहा है मैं कितना घायल हूँ। ऐसे में मैं शिकार कैसे करूँगा? लोमड़ी बोलती है अगर मैं शिकार कर लेती तो तुम्हें क्यों कहती? कुछ करो पेट और हाथ दोनों ख़ाली है। लोमड़ी अपने पेट पर हाथ फेरते हुए इधर उधर देखती है जंगल में थोड़ी दूर उसे एक गधा दिखाई देता है, जो घास चर रहा था। लोमड़ी शेर से बोली वहाँ देखो एक गधा है जो घास चर रहा है। मैं किसी तरकीब से उसको यहाँ लेकर आती हूँ। वह जैसे से ही पास आएगा तुम समय देखकर हमला कर देना। शेर मुस्कुराया और बोला ठीक है जाओ शिकार लाओ।

मुर्ख गधा

मुर्ख गधा जहां घांस चर रहा था, वहाँ की ज़मीन बंजर थी और पेड़ पौधे सूखे हुए थे। लोमड़ी, गधे के पास से जाकर बोली। क्या कर रहे हो? तुम सुखी घास क्यों कर रहे हो? गधे ने जवाब दिया, मैं एक मज़दूर था जो अपने दुष्ट मालिक का सामान ढोता था। वहाँ से भागकर आया हूँ। मुझे पता नहीं है क्या ख़ाना है और कहाँ ख़ाना हैं? लोमड़ी बोली तुम बहुत ख़ुस्किस्मत हो जो इस जंगल में आए। यहाँ दूसरी तरफ़ बहुत हरी-भरी और सुंदर घास है। लोमड़ी की बात सुनकर गधा खुश हो गया और लोमड़ी के साथ चलने लगा।

रास्ते में जाते जाते गधा मन ही मन हरी-हरी घास का सपना देख रहा था। उसके मुँह में पानी आ रहा था। उसे वहाँ पहुँचने की बहुत जल्दी थी। उधर लोमड़ी भी मन ही मन गधे के ताज़ा मांस खाने को सोच कर लार टपका रही थी। दोनों बहुत ख़ुस थे। थोड़ी ही दुर शेर छुप कर बैठा था। शेर ने सही मौक़ा देख कर पीछे से गधे पर हमला कर दिया। गधा डर गया और इधर उधर कूदने लगा। जैसे तैसे शेर के चंगुल से निकल कर भागने लगा। घायल शेर उसका पीछा भी नहीं कर सका। गधा बचाओ बचाओ चिल्लाते हुए भागने लगा।

लोमड़ी शेर के पास आकर ग़ुस्से में बोली मूर्ख तुम किसी काम के नहीं हो इतनी मेहनत से मैं शिकार लाई थी और तुमने उसे भी जाने दिया। रुको मैं कुछ करती हूँ। इतना बोल वह गधे के पीछे भागी और गधे से बोली- तुम भाग क्यों रहे हो? वो गधी तुमसे शादी करना चाहती थी। तुम बेवकूफ उससे डर कर भाग रहे हो। मुर्ख गधा तुरंत रुका और बोला क्या वह सच में गधी थी? मुझे तो लगा कोई खुखार जानवर है जो मेरा शिकार करने आया था। लोमड़ी हसते हुए बोली इसीलिए तुम अभी तक कुवाँरे हो। चलो तुम्हारी दुल्हन तुम्हारा इंतज़ार कर रही है। मुर्ख गधा मन ही मन खुश हुआ। छाती फुलाकर सिटी बजाते हुए लोमड़ी के साथ चल दिया।

इस बार शेर सतर्क था। उसने इस बार सही मौक़ा देख कर हमला किया और गधे को दबोच लिया। लोमड़ी पीछे से खुश होकर तब तक देखती रही जब तक मुर्ख गधा पूरी तरह सुस्त नहीं हुआ। गधे के मर जाने पर लोमड़ी पास आयी और शेर से बोली बहुत अच्छा, तुमने गधे को मार ही दिया, लोभी और मतलबी लोमड़ी ने सोचा आज का तो खाने का बंदोबस्त हो गया। ये घायल शेर अब मेरे किसी काम का नहीं है। मेरी बुद्धि ख़ुद मुझे शिकार लाकर देगी। इसे कैसे भी रास्ते से हटाना पड़ेगा। उसके दिमाग़ में तरकीब आयी। शेर से बोली जाओ तालाब से हाथ मुँह धोकर आओ तुम्हारे हाथ पैर पर मिट्टी लगी है। जब आओगे फिर दोनों मज़े से पेट पूजा करेंगे।

जैसे ही शेर तालाब की तरफ़ हाथ मुँह धोने गया वैसे ही लोमड़ी मरे हुए गधे को लेकर वहाँ से भाग गई और ग़ायब हो गई।
“कभी ग़लत सोच वाले का विश्वास मत करो”

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