नमस्कार ! आज मैं बहुत ही खास विषय पर चर्चा करने वाला हूँ, जिसका नाम है कारक। ये कितने प्रकार के होते हैं, इसके प्रकारों की परिभाषा और उदाहरण, कारकों की क्या क्या पहचान हैं आदि।
नोट : कारक अंग्रेजी में अर्थ Case होता हैं।
विषय - सूची
कारक किसे कहते हैं
क्रिया से सम्बन्ध रखने वाले वे सभी शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम के रूप होते हैं उन्हें कारक कहते हैं।
अर्थात कारक संज्ञा या सर्वनाम शब्दो का वह रूप होता है जिसका सीधा सम्बन्ध क्रिया से होता है।
कहने का मतलब ये है की, जब किसी वाक्य मे संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का अलग-अलग रूप मे प्रयोग होता है तब इन्ही अलग-अलग रूप को Karak कहते हैं।
कुछ उदाहरण – राम किताब पढ़ता है।
– संता बंता के लिए मिठाई लाया है।
– वह रोज सविता को हिंदी पढ़ाता है।
Case – कारक के भेद
आपने कारक के बारे मे ऊपर सब पढ़ लिया है। अब ज़रूरत है कारकों के भेद के बारें मे जानने की। मुख्य रूप से कारकों की संख्या 8 होती है।
इन सबकी पहचान अर्थात कारक के चिन्ह और विभक्ति क्या होते हैं। कारक चिन्ह को पहचानने के लिए नीचे निम्नलिखित से समझ सकते हैं।
कारकों के प्रकार – पहचान (चिन्ह)
कर्ता (प्रथमा विभक्ति) – ने
कर्म (द्वितीया) – को
करण (तृतीया) – से, के द्वारा
सम्प्रदान (चतुर्थी) – के लिए, को (सहायतार्थ देने मे)
आपदान (पंचमी) – से (अलगाव मे)
सम्बन्ध (षष्टी) – का, के, की, रा, रे, री
अधिकरण (सप्तमी) – मे, पर
संबोधन (अष्ठमी) – हे!, अरे!
हमने ऊपर जाना की कारकों के प्रकार और पहचान क्या होते हैं। अब हम एक एक करके आठो भेद की परिभाषा और उदाहरण समझेंगे।
कर्ता कारक (ने)
जहाँ पर कर्ता प्रधान हो, वहाँ पर कर्ता कारक होता है। उदाहरण –
- राम जाता है।
- दुखन्ती हँसता है।
- मैं जूस पीता हूँ।
जैसा की ऊपर उदाहरण से समझा जा सकता है की, वाक्य मे पूर्ण रूप से केवल और केवल कर्ता ही प्रधान है। अतः यहाँ पर कर्ता कारक होगा।
नोट : लिंग, वचन और परिमाण मात्र मे प्रथमा विभक्ती कर्ता कारक होता है।
कर्म कारक (को)
जहाँ पर कर्म प्रधान हो वहाँ पर कर्म कारक होता है।
नोट : बुलाना, सुलाना, जगाना, भगाना, कोसना, पुकारना क्रियाओं मे कर्म कारक लगता है। इसकी पहचान ‘को’ है।
यहाँ पर कर्ता के क्रिया का फल कर्म पर पड़ता है। जैसे –
- गाँव वालों ने डाकुओं को भगाया।
- राम ने बिल्ली को पीटा।
- माँ बच्चे को सुलाती है।
करण Karak
इसके पहचान (से, के द्वारा) से समझा जा सकता है। यह साधन के रूप मे प्रयुक्त होता है। जैसे –
- राम गेंद से खेलता है।
- हम आँखों से देखते हैं।
- तुम बाल्टी से पानी भरती हो।
नोट : जहाँ पर अंगी का विकार लक्षित हो, वहाँ पर तृतीया होता है। जैसे –
- भिखारी पैर से लंगड़ा है।
- दुखन्ति आँखों से अंधा है।
- वह सिर से गंजा है।
सह (साथ मे) के योग से तृतीया विभक्ति करण कारक का प्रयोग होता है। जैसे –
- पिता पुत्र के साथ आता है।
- छात्रों को उपाधि साथ मे दी जाती है।
- दुखन्ति स्वभाव से दयालु है।
सम्प्रदान कारक (सहायता के रूप मे देना)
सम्प्रदान की पहचान ‘के लिए’ और ‘को’ होता है। जिसे कुछ दिया जाता है और जिसके लिए कुछ कार्य किया जाता है, वहाँ पर सम्प्रदान होता है। के वास्ते, के हित आदि प्रत्यय वाले शब्द भी सम्प्रदान होते हैं। जैसे –
- हरि मोहन को रुपये देता है। (सहायक के रूप मे)
- राजा ब्राम्हण को गाय देता है।
- बालक के लिए मिटाई लाओ।
- अध्यापक ने छात्र को पुस्तक दी।
- तुलसी के वास्ते ही राम ने अवतार लिया।
- राम के हित मे बानर सेना युद्ध लड़ें।
नोट : जहाँ पर जिसको कोई वस्तु प्रिय लगती है, वहाँ पर चतुर्थी विभक्ति सम्प्रदान कारक होता है। जैसे –
- मोहन को लड्डू अच्छे लगते है।
- सीता को पढ़ना अच्छा लगता है।
- हरि को भक्ति अच्छी लगती है।
सुत्र – नमः स्वस्ति (कल्याण) स्वाहा स्वधा अलं (पर्याप्त) वषट
- गुरु को नमस्कार
- अग्नि को स्वाहा
- आपका कल्याण हो
- पित्रों के लिए स्वधा
- पहलवान पहलवान के लिए पर्याप्त है
- हरि दैत्यों के लिए पर्याप्त हैं
अपादान Karak (पंचमी विभक्ति)
स्वयं से अलग होने वाले ध्रुव मे पंचमी विभक्ति अपादान कारक है। जैसे –
- वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।
- छत से ईंट गिरा।
- बिल्ली छत से कूदी।
- चूहा बिल से निकला।
- गंगा हिमालय से निकलती है।
नोट : जहाँ पर भय व्याप्त हो वहाँ पर पंचमी अपादान होता है।
उदाहरण : चोर पुलिस को देखकर डर गया।
सम्बन्ध कारक
यह सम्बन्ध को प्रदर्शित करता है। पहचान – का, के, की, रा, रे, री। उदाहरण –
- वह गंगा का जल है।
- राम की पुस्तक कहाँ है।
- तुम्हारी किताब वहाँ नही हैं।
अधिकरण Karak
किनारे, आसरे, दिनों, यहाँ, वहाँ समय आदि के लिए अधिकरण कारक लगता है। जैसे –
- जिस समय वह आया था उस समय मैं नही था।
- वह द्वार-द्वार भीख माँगता रहा।
- इन दिनों वह लखनऊ है।
- वह संध्या समय गंगा किनारे जाता है।
- राम घर मे नही हैं।
- नदियों मे नावे चलती है।
नोट ; यदि किसी को अपने समुदाय मे श्रेष्ठ या विशिष्ट बतलाया जाता है, तो वहाँ अधिकरण लगता है। उदाहरण –
- कवियों मे कालिदास श्रेष्ठ हैं।
- बालकों मे कान्हा श्रेष्ठ है।
- राम सभी मे श्रेष्ठ हैं।
संबोधन – हे!, अरे!
किसी को किसी काम के लिए चिल्लाना, बुलाना, बोलना या पुकारने का संज्ञान (बोध) होना संबोधन कारक को दर्शाता है।
संबोधन को ! चिन्ह से प्रदर्शित किया जाता है। इस चिन्ह को अँग्रेजी मे exclamation mark कहते हैं। इसकी पहचान – अरे!, हे!, ओह!, शाबाश!, आदि। उदाहरण –
- अरे! ये तुमने क्या कर दिया?
- ओह! धोनी आउट हो गया।
- हे राम!
- शाबाश पट्ठे!
धन्यवाद!