ग़रीब की कावड़ यात्रा – महादेव की महिमा की कहानी

एक गाँव में अमित अपनी पत्नी सोभा के साथ रहता था। अमित बहुत गरीब था, न तो उसके पास जमीन थी न ही पैसा।

अमित दिन भर मजदूरी करता था जिससे उसके घर का गुजारा होता था। जिस दिन काम नहीं मिला उस दिन उनको खाने के लिए भी नहीं मिलता था।

कई बार तो वे सिर्फ़ चावल उबाल कर खाते थे और कई बार बस पानी पी कर रात गुज़ारनी पड़ती थी। उनका दुःख केवल खाने का ही नहीं था। उनको कोई संतान भी नहीं होती थी।

सोभा भगवान शंकर जी की मन से भक्ति करती थी। वह रोज़ सुबह शंकर जी के मंदिर जाकर पूजा करती थी। लेकिन अमित भगवान में आस्था नहीं रखता था।

एक दिन सुबह सुबह सोभा मंदिर से पूजा करके वापस आई। आते ही अमित बोला- तुम क्यों अपना समय बर्बाद करती हो।
भगवान सिर्फ़ अमीरों के होते है अगर वह हम जैसे ग़रीबो के भी भगवान होते तो हमारा जीवन इतना कठिन नहीं होता।
भगवान का दिल बहुत कठोर है वह तुम्हारे कोमल हृदय की बात कभी नहीं सुनेंगे। हमारे पास न तो पैसे है न ही संतान।

सोभा बोली- ऐसे मत बोलिये मुझे मेरे प्रभु शिव जी पर पूरा विश्वास है। वह एक न एक दिन हमारी इच्छा ज़रूर पूरी करेंगे। भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। अमित बोला ठीक है जैसा तुम्हारा मन करे करो।

अमित साहूकार के पास काम माँगने जाता है। साहूकार से बोलता है मालिक मेरे लिये कुछ काम है तो बताइए मैं करने को तैयार हूँ काम की कीमत आपको जो समझ में आये दीजियेगा।

साहूकार बोला- अमित आज तुम्हारे लिए मेरे पास कोई काम नहीं है। अमित उदास होकर घर की तरफ चल दिया और रास्ते भर सोच रहा था आज तो मेरे पास पैसे भी नहीं है, न ही घर में कुछ राशन बचा है।

आज लगता है भूखे पेट ही सोना पड़ेगा। तभी पीछे से एक आवाज़ आती है। कोई व्यक्ति अमित को बुला रहा होता है। अमित मुड़ कर देखता है तो एक अनजान बूढ़ा व्यक्ति उसके पास आकर बोलता है- जब तुम साहूकार के पास काम मंगाने गये थे मैं वही था। मुझे भी एक तुम्हारे जैसे व्यक्ति से काम है।

अमित पूछा बताइए क्या काम है? बूढ़ा आदमी बोलता है- मैं बहुत दिन से सोचता हूँ कि हरिद्वार जाकर कावड़ का पानी लाऊँ और अपने गाँव वाले मंदिर में भगवान शिव को जल चढाऊ, लेकिन मेरी उम्र और मेरे पैर इस बात की गवाही नहीं देते है।

क्या तुम मेरे लिये हरिद्वार से गंगा जल लाओगे? मैं इस काम के लिए तुम्हें पचास हज़ार रुपए दूँगा।

पचास हजार का नाम सुनते ही अमित जाने के लिए राज़ी हो गया सोचा इतने पैसे तो वह एक साथ कभी नहीं कमा पाएगा।

बूढ़ा व्यक्ति बोला- कल सुबह तुम कावड़ लेकर निकल जाना जब वापस आओगे तो मैं तुम्हें साहूकार के पास ही मिलूँगा वहीं जल लेकर तुम्हे पैसे दे दूँगा।

उसने अमित को कुछ पैसे दिये जिससे वह कावड़ का सामान ख़रीद ले। अमित बहुत खुश था। वह घर जाकर सोभा को सारी बात बताया सोभा भी खुश हो गई और उसकी यात्रा कि तैयारी में जुट गई।

अगले दिन भोर में ही अमित घर से हरिद्वार के लिये निकल गया। दो दिन की यात्रा के बाद हरिद्वार पहुँच कर कावड़ में गंगा जल भर कर वापस आने लगा। रास्ते में उसे बहुत से लोग मिले जो जय भोले, बम भोले जयकारा लगाते हुए अपनी यात्रा कर रहे थे।

अमित तो सिर्फ पैसों के लिये यह यात्रा कर रहा था। लेकिन सबका देख वह भी जायकारा लगाते हुए यात्रा करने लगा।

अमित लगभग अपनी यात्रा पूरी ही कर चुका था। कुछ ही देर में वह अपने गाँव पहुँचने वाला था। तभी एक पेड़ के नीचे बैठा एक बूढ़ा व्यक्ति उसे बुलाया और बोला- बेटा मैं आँख से अंधा हूँ भोजन की तलाश में रास्ता भटक गया हूँ। मुझे बहुत तेज़ प्यास लगी है। कृपा कर मुझे पानी पिला दो।

अमित के पास पीने का पानी नहीं था। वह बड़ी दुविधा में पड़ गया था। अगर वह इस बूढ़े व्यक्ति को कावड़ का पानी पीला देगा तो जिसके लिए वह जल लेकर आ रहा है वह उसे पैसे नहीं देगा। और दोबारा हरिद्वार भी नहीं जा सकता।

लेकिन उस अंधे व्यक्ति को प्यासा छोड़ कर भी जाने के लिए उसका ज़मीर गवाही नहीं दे रहा था। वह सोचा मैं बूढ़े व्यक्ति को बोल दूँगा मैं गंगा जल नहीं ला सका शायद मेरी क़िस्मत में पैसे कामना नहीं लिखा है।

अंत में वह उस अंधे व्यक्ति को पानी पीला देता है। अंधा व्यक्ति उसे आशीर्वाद देते हुए बोला- तुमने आज मेरी प्यास बूझा कर मेरी जान बचाई है। मेरे कठिन समय मेरा साथ दिये, मुझे जल पिलाया, भगवान तुम्हें सुखी रखे और तुम्हारी सारी मुरादें पूरी करे।

इसके बदले मैं भी तुम्हें कुछ देना चाहता हूँ। यह पोटली लो और इसे अपने घर जाकर ही खोलना। अमित ने उनको धन्यवाद बोला और कहा- बाबा आप अंधे है और शाम होने वाली है, चलिए मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ।

अंधा आदमी बोला- बेटा मैं घर चला जाऊँगा तुम भी अपने घर जाओ सोभा तुम्हारी राह देख रही होगी। अमित उनको प्रणाम कर अपने घर की तरफ चल दिया।

थोड़ी ही देर में वह गाँव पहुँच गया। सबसे पहले वह साहूकार के पास गया और साहूकार से पूछा- वह बूढ़े आदमी कहा है जिन्होंने मुझे जल लाने के लिए कहा था?

साहूकार अमित को हैरान वाली नजर से देखकर बोला- मेरे यहाँ बिना मेरी इजाजत के कोई नहीं बैठता है। तुम जिसकी भी बात कर रहे हो वैसा व्यक्ति मेरे पास कभी नहीं आया था।

अमित को कुछ समझ में नहीं आता है। वह पूरे गाँव में सबसे उस बूढ़े आदमी के बारे में पूछता है। लेकिन किसी को भी उसके बारे में पता नहीं रहता है।

वह वापस घर जाकर सोभा को सारी बातें बताता है। सोभा भी यह सब सुनकर हैरान हो जाती है। दोनों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ये सब क्या हो रहा है।

सोभा को याद आता है की अमित ने बताया है कि वह अंधा व्यक्ति उसका नाम लेकर अमित को घर जाने को बोला था। सोभा अमित से पूछती है – क्या उसने उस अंधे व्यक्ति को सोभा का नाम बताया था?

अमित बोला- उसने सोभा का नाम नहीं बताया था। सोभा पूछती है- फिर उसको मेरा नाम कैसे पता चला?

अमित को भी समझ में नहीं आता है। सोभा तुरंत वह पोटली खोलती है जो अंधे व्यक्ति ने अमित को दिया था।
उस पोटली में एक लाख रुपये होते है। सोभा समझ जाती है यह सब भोले बाबा की महिमा थी। सोभा अमित को लेकर तुरंत मंदिर जाती है दोनों भगवान शिव की पूजा करते है और उनकी गरीबी दूर करने के लिए धन्यवाद देते है।
अब अमित के मन में भी भगवान शिव में आस्था जाग जाती है। अब अमित भी हर दिन सोभा के साथ मंदिर जाकर पूजा करता है।
कुछ दिन बाद उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति होती है। दोनों बहुत खुश रहने लगे थे। उनकी हर मनोकामना पूरी हो चुकी थी। ॐ बम बम भोले ॐ

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