टुटा घड़ा

टुटा घड़ा

चन्द्रपुर गाँव में मुखियाँ जी के घर रामू नाम का नौकर काम करता था। रामू एक दिन बाज़ार गया।

वहाँ से दो सुंदर मटके ख़रीदा जिसमें सबसे अधिक पानी आ सकता था। दोनों मटको को घर लाया।

टुटा घड़ा

मुखियाँ जी को दोनों मटके बहुत पसंद आए। उन्होंने रामू से बोला तुम बहुत अच्छे मटके लाए हो कल से इन्हीं मटको में पानी लाना।

उन दिनों नदी से पानी लाया जाता था। रामू रोज़ सुबह उन्हीं दोनों मटको में नदी से पानी भरने जाता था और मुखियाँ जी के घर रखता था।

सब लोग बहुत चाव से मटको का पानी पीते थे। एक दिन रामू नदी से पानी ला रहा था रास्ते मे कुछ बच्चे गिल्ली डंडा खेल रहे थे।

उनकी गिल्ली एक मटके से आ टकराई और मटके में छेद हो गया। मटके से पानी गिरने लगा। घर जाते जाते आधा पानी गिर गया।

रामू बहुत परेशान हो गया कि मुखियाँ जी को क्या जवाब दूँगा?

रामु मुखिया जी के पास जाकर, डरते डरते मुखियाँ बोला- मुखियाँ जी पानी लाते समय रास्ते में एक घड़े में गलती से छेद हो गया है।

मुखियाँ जी ने रामू से बड़े आराम से कहाँ- कोई बात नहीं रामू, बाजार से दुसरा घड़ा ले आना। इतना सुनकर रामू के जान में जान आई।

रामू बोला मुखियाँ जी मैं रोज़ इसी घड़े में पानी लाऊँगा।

रामू रोज़ उन्हीं दोनों घड़ों में पानी लाता था। पानी भरकर दोनों घड़ों को एक जगह रख देता था।

एक दिन सही घड़ा टूटे घड़े से बोला- तुम मेरे मालिक के ऊपर बोझ हो रोज़ हमारे मालिक पानी लाते है,

लेकिन तुम आधा पानी ही घर लाते हो और आधा पानी रास्ते में गिरा देते हो।

मैं तुमसे दोगुना ज़्यादा काम आता हूँ। तुम किसी काम के नहीं हो। टूटा घड़ा उदास हो गया।

टूटा घड़ा अगले दिन रामू से बोला- मालिक मुझे कही फेक दो मैं आपकी सारी मेहनत बेकार कर देता हूँ। आधा पानी गिरा देता हूँ।

रामू बोला- तुम ऐसा क्यों सोच रहे हो? तुम मेरे बहुत काम आते हो। जो पानी तुम्हारे घड़े से गिरता है उससे मेरी सब्ज़ियाँ बहुत अच्छी होती है

जिन्हें बाजार में बेच कर अच्छे पैसे कमा लेता हूँ। तुम मेरे बहुत काम आते हो।

रामू की बात सुनकर अच्छे घड़े को समझ में आ गया कि कोई भी किसी के काम आ सकता है बस उसका सदुपयोग करने आना चाहिए।

उसने टूटे घड़े से माफ़ी माँगी। फिर उसकी इज़्ज़त करने लगा।

इसीलिए कभी भी किसी की कमियों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।

कमेंट करके अपना विचार प्रकट करें