Wi-Fi वाला कुआँ- मेहनत से मिली चीज की कीमत और अहमियत

Wi-Fi वाला कुआँ

एक गाँव के एक परिवार में रमेश अपनी पत्नी राधा और अपने पुत्र पंकज के साथ रहता था। रमेश की आमदनी बहुत कम थी जिसकी वजह से इनका जीवन यापन बहुत मुश्किल से होता था।

रमेश, चुन्नू सेठ की दुकान पर काम करता था। गर्मी की छुट्टियाँ थी, रमेश अपने बेटे को भी अपने साथ चुन्नू सेठ की दुकान पर ले गया।

सेठ से बोला- साहब ये मेरा बेटा पंकज है इसके स्कूल की छुट्टियाँ है इसलिए इसे भी ले आया कि कुछ काम कर लेगा।

सेठ बोला- ये तो बहुत अच्छी बात है तुम इसे मेरे बेटे चिंटू के दफ़्तर में भेज दो वहाँ ये कुछ काम कर लेगा। पंकज चिंटू के दफ़्तर में गया तो देखा की चिंटू मोबाइल में गेम खेल रहा था।

चिंटू के पास बहुत महँगा मोबाइल था जिसमें इटरनेट था जिससे वह ऑनलाइन गेम्स खेलता था। पंकज अंदर जाकर उसको बाहर की बातें बताई कि सेठ जी ने काम के लिये भेजा है।

दोनों थोड़ी देर तक बातें करते रहे। बातों ही बातों में पंकज ने चिंटू से गेम खेलने के लिए मोबाइल माँगा लेकिन चिंटू बोला- मेरा बहुत महँगा मोबाइल है मैं तुम्हें नहीं दे सकता। पंकज दुःखी हो गया।

घर जाने पर अपने पिता रमेश से बोला- पिताजी मुझे भी चिंटू जैसा मोबाइल चाहिए। रमेश बोला- बेटा मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि मैं तुम्हें मोबाइल ख़रीद कर दूँ। पंकज उदास हुआ लेकिन मन ही मन ठान लिया था कि वह एक दिन मोबाइल ज़रूर ख़रीदेगा।

पूरी गर्मियों की छुट्टी में पंकज सेठ की दुकान पर खूब मेहनत से काम किया। अंत में उसे अच्छे पैसे मिले, जिससे वो मोबाइल ख़रीद कर लाया। लेकिन उसके मोबाइल में कोई गेम नहीं चल रहा था। वह परेशान होकर चिंटू के पास गया और उससे सारी परेशानी बताई।

चिंटू ने उसे बताया कि गेम खेलने के लिए मोबाइल में इंटरनेट होना चाहिए। उसके लिए तुम्हें पैसे लगाने पड़ेंगे। पंकज उदास होकर बोला मेरे पास पैसे नहीं है जितने पैसे थे उसका मोबाइल ख़रीद लिया।

चिंटू बोला- परेशान मत हो मेरे पास wi-fi है। जिससे तुम इंटरनेट का प्रयोग कर सकते हो। चिंटू ने पंकज के मोबाइल को wi-fi से जोड़ दिया। पंकज बहुत खुश हुआ क्यूंकि अब उसके मोबाइल में गेम चलने लगा था। वह रोज़ चिंटू के पास जाकर गेम खेलता था।

कुछ दिन बाद गाँव में सूखा पड़ा। गाँव के सभी कुएँ सुख गये। गाँववाशी दूर दूर जाकर पानी भर कर ला रहे थे। पानी की तलाश में पंकज भी गाँव से दूर जंगल में चला गया।

जंगल के बीच उसे एक कुँआ दिखाई दिया। जिसमें बहुत ज़्यादा पानी था। इतना था कि बिना रस्सी के भी पानी निकल सकते थे। बहुत देर से धूप में चलने की वजह से बहुत थक गया था। सोचा थोड़ा आराम करके वापस पानी लेकर घर जाएगा।

Wi-Fi वाला कुआँ

कुएँ के पास ही एक छायादार पेड़ के पास बैठ कर मोबाइल निकाला तो देखा उसका मोबाइल किसी “wi-fi वाला कुआँ” नेटवर्क से जुड़ा हुआ है।

उसका गेम भी चल रहा था। वह बहुत हैरान हुआ और इधर उधर देखने लगा। बहुत देर बाद जब कोई और साधन दिखाई नहीं दिया तब उसे समझ में आया कि ये कुआँ ही wi-fi का ज़रिया है।

वह बहुत खुश हुआ। कुआँ से बोतल में पानी भर कर घर ले गया। कुएँ का पानी जो बोतल में उसकी वजह से अभी भी उसका मोबाइल wi-fi से जुड़ा था। अब वह घर में भी इंटरनेट प्रयोग कर पा रहा था। अब वह अपने मोबाइल से गाँव के लोगो की भी मदद करने लगा था।

एक दिन पंकज सो कर उठा तो देखा कि उसका मोबाइल wi-fi से जुड़ा हुआ नहीं है। बहुत कोशिश के बाद भी नहीं जुड़ पाया। उसने पानी की बोतल देखा तो पता चला बोतल को चूहे ने काट दिया था और सारा पानी गिर गया था। पंकज थोड़ी देर मंथन किया और उसके दिमाग़ ने एक तरकीब आई।

उसने सोचा क्यूँ न मैं अपने घर के पास ही एक कुआँ खोदूँ और wi-fi वाले कुआँ का पानी इसमें मिला दूँ।

उसी दिन से पंकज कुआँ खोदने में लग गया। आख़िरकार दस दिन की कड़ी मेहनत के बाद उसने इतना कुआँ खोद दिया था कि पानी आने लगा।

जब कुआँ में ऊपर तक पानी जमा हो गया तो wi-fi वाले कुएँ से एक बाल्टी पानी लाया और अपने कुएँ में डाल दिया।

अब वह कुआँ, wi-fi वाला कुआँ बन गया था। पंकज अपने घर में बैठकर इंटरनेट का प्रयोग कर पाता था। उसे इस बात की अधिक ख़ुशी हुई कि यह wi-fi उसके अपनी मेहनत से मिली है।

कहानी की सीख-

अगर कोई चीज हमे मेहनत से मिलती है तब उसकी क़ीमत और अहमियत दोनों बढ़ जाती है।

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