तकदीर

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एक गाँव में अमीरचंद नाम का जमींदार रहता था। उसके पूर्वजों द्वारा कमाए धन से वह बहुत धन कमाया था।

उसको अपने धनवान होने का बहुत घमंड था। उसे लगता था कि वह अपने धन से दुनिया की हर चीज ख़रीद सकता है।

एक दिन उसका भाई शराब पी कर गाड़ी चला रहा था। नशे में वह एक लड़के को धक्का मार दिया।

उस लड़के को बहुत चोट लग गई थी। सिर से बहुत खून बह गया था।

अगर वहाँ के लोग समय से उसको अस्पताल नहीं ले जाते तो जान भी जा सकती थी।

उस लड़के के परिजन पुलिस में शिकायत दर्ज करने जा रहे थे। यह सब बातें अमीरचंद का मुनीब श्यामू सुन रहा था।

वह तुरंत अपने मालिक अमीरचंद के पास जाकर सारी घटना सुनाते हुए बोला- साहब, लड़के के परिजन पुलिस में शिकायत करने की बात कर रहे है, अगर आप उनसे माफ़ी माँग लेंगे तो शायद वह लोग पुलिस में शिकायत न करे।

अगर वे लोग पुलिस में शिकायत कर देंगे तो आपका भाई जेल में चला जाएगा।

अमीरचंद बोला- छोटी छोटी बातों के लिए माफ़ी नहीं माँगी जाती है। तुम उन्हें बुला कर लाओ, कुछ पैसे उनके मुँह पर मारूँगा सब मामला शांत हो जाएगा।

श्यामू उन्हें बुला कर लाया। लड़के का पिता बोला- जमीदार साहब आपके भाई ने शराब के नशे में मेरे पुत्र को धक्का मारा है। वह मरते मरते बचा है।

आपका भाई शराब के नशे में कई दुर्घटनायें कर चुका है इस बार उसे सबक़ सिखाना आवश्यक है नहीं तो वह किसी दिन किसी की जान ले लेगा।

इसलिए मैं आज ही पुलिस में जाकर उसके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करूँगा।

अमीरचंद बोला- मैं अपने भाई को कई बार समझा चुका हूँ लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आता है।

आज जब वह घर आएगा तब फिर से उसे समझाऊँगा, और रही बात पुलिस की तो शिकायत दर्ज कराने से तुम्हारा पुत्र ठीक नहीं होगा।

उसकी हालत बहुत ख़राब है। पहले उसे ठीक करने के बारे में सोचो।

आज कल अस्पतालों में लूट मची पड़ी है और तुम्हारी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है।

उसका इलाज कैसे कराओगे?

मेरे हिसाब से तो तुम्हें पहले उसका सही से इलाज कर घर लाना चाहिये।

उसके लिए अस्पताल का जितना खर्च होगा मैं देने को तैयार हूँ।

ऊपर से तुम्हें एक लाख रुपये और देता हूँ। मामला रफ़ा दफ़ा करो और जाओ अच्छे से इलाज कराओ।

पुलिस के चक्कर में पड़ोगे तो अपने इकलौते पुत्र से भी हाथ धोना पड़ सकता है।

यह सब सुन परिजन का भी मन बदल गया। वह पैसे लेकर वहाँ से चला गया।

उसके जाने के बाद अमीरचंद मुछेँ का ताव देते हुए श्यामू से बोला- देखा पैसे में कितनी ताक़त है।

उचित क़ीमत लगाने पर दुनिया की हर चीज ख़रीदी जा सकती है।

अभी वे बातें ही कर रहे थे कि अमीरचंद की पत्नी सोभा वहाँ आ गई और बोली- सुना है पास वाले मंदिर में बहुत बड़े महात्मा आये है।

पंद्रह साल हिमालय पर बिताने के बाद कुछ दिनों के लिए आये है। मेरा मन है की आप उनके दर्शन कर आये।

अमीरचंद बिना मन के श्यामू को साथ लेकर वहाँ चला गया।

वहाँ जाते ही अमीरचंद महात्मा जी से बोला- महाराज आपकी कुटियाँ और मंदिर तो बहुत छोटा है।

मैं आपको एक बहुत बड़ा मंदिर और आपके लिए आलीशान मकान बनवा देता हूँ, जिसमें दुनिया की हर सुख सुविधा होगी। आराम से पूरा जीवन व्यतीत हो जायेगा।

महात्मा जी बोले- पुत्र दुनिया की बाहरी सुख सुविधाओं से मुझे क्या लेना देना है।

मैं तो कुछ ही दिनों में हिमालय पर अपना बसेरा बना लूँगा। जब तुम्हें भी सत्य का ज्ञान हो जाएगा, इन सब चीजो से ध्यान हट जाएगा।

अमीरचंद को उनकी बातें पसंद नहीं आई बोला- यदि आप ख़ुद को इतना ही ज्ञानी समझते है तो बताइए मेरी मृत्यु कब होगी?

महात्मा बोले- बालक हर जीव जो जन्म लिया है वह एक न एक दिन मारेगा ही। उसकी मृत्यु एक तय समय पर ही होगी।

यदि तुम अपनी मृत्यु की तिथि और समय जान जाओगे तो बचे हुए जीवन का आनंद नहीं ले पाओगे। हर वक्त अपनी मृत्यु के बारे में सोच कर परेशान रहोगे।

अमीरचंद को लगा की महात्मा को कुछ पता नहीं है वह बस बातें बना रहे है।

वह अपनी मृत्यु की तिथि जानने की ज़िद पर अड़ा रहा।

महात्मा जी के बहुत समझाने पर भी नहीं समझ रहा था। हार कर अंत में महात्मा जी बोले- तुम्हारी मृत्यु ठीक तीन महीने बाद इसी वक्त होगी।

अमीरचंद उनकी बातें सुन कर हँसाता हुआ वहाँ से घर आ गया।

घर आकर सारी बातें अपनी पत्नी से बताया। उसकी पत्नी यह सब सुनकर परेशान हो गई।

वह तुरंत अमीरचंद को लेकर मंदिर के पुजारी के पास गई और सारी बातें बताई।

पुजारी बोले- यदि महात्मा जी ने कहा है तो सत्य ही होगा। वह कभी झूठ नहीं बोलते है। उनकी बातें हमेशा सत्य होती है।

पुजारी की बात सुन कर अमीरचंद को अपनी मृत्यु की चिंता होने लगी। वह पुजारी जी से बचने का उपाय पूछने लगा। पुजारी बोले सबकी मृत्यु तय है उसको टालना असंभव है।

अमीरचंद बोला- पुजारी जी आप मुझे उपाय बताइए दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं जिसका मोल न हो मैं अपने धन से हर चीज ख़रीद सकता हूँ।

उसका अहंकार देख पुजारी उसको भगाने के लिए ऐसे ही बोल दिये कि ‘यदि तुम्हारी जगह कोई मरने के लिये तैयार हो जाएगा तब तुम बच सकते हो।’

पुजारी जी को लगा दुनिया में जान से बड़ा किसी के लिये कोई धन नहीं है इसलिए ऐसे काम के लिये कोई तैयार नहीं होगा।

अगले दिन अमीरचंद श्यामू को बुला कर बोला- जाओ अग़ल बग़ल के सभी गाँवों में सबको बता दो की यदि मेरी जगह कोई और मरने को तैयार होगा तो वह बदले में उसे एक करोड़ रुपये देगा।

श्यामू घूम घूम कर सबसे पूछने लगा लेकिन कोई भी किसी भी क़ीमत पर अपनी जान देने को तैयार नहीं था।

लेकिन बग़ल के गाँव का एक बहुत गरीब व्यक्ति रामलाल पैसों के बदले मरने को तैयार हो गया।

रामलाल बोला- ज़मींदार साहब मैं आपकी जगह मरने को तैयार हूँ।

आप मुझे एक करोड़ रुपये दीजिए क्योकि जीते जी मैं अपने परिवार का भरण पोषण तक नहीं कर पा रहा हूँ मेरी ऐसी ज़िंदंगी का होना न होना सब बराबर है।

अमीरचंद बहुत खुश हुआ। वह उसे एक करोड़ रुपये दे दिया और रामलाल भी मृत्यु स्वीकार कर अपने घर चला गया।

अपने परिवार के लिए अच्छा मकान और सारी सुख सुविधाओं के बंदोबस्त में जुट गया।

उस दिन के बाद अमीरचंद निश्चिंत रहने लगा उसे लगा उसने पैसों से अपनी ज़िंदगी ख़रीद ली है अब उसका अहंकार सातवें आसमान पर था।

दिन बीतता गया।

एक दिन अमीरचंद अपनी गाड़ी में सवार हो कर शहर जा रहा था। अचानक रास्ते में उसे रामलाल दिखा।

वह गाड़ी रोक पूछा- अरे, रामलाल तुम अभी मरे नहीं?

रामलाल बोला- साहब आज मेरे जीवन का आखिरी दिन है इसीलिए बाज़ार जा रहा हूँ।

अपने परिवार के लिए कुछ समान लेना है जिससे मेरे न रहने पर उनको किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।

अमीरचंद बोला- आओ मेरी गाड़ी में बैठो मैं भी शहर जा रहा हूँ तुम्हें छोड़ दूँगा। रामलाल गाड़ी में बैठ गया। दोनों शहर की तरफ़ जा रहे थे।

थोड़ी ही देर में अचानक मौसम ख़राब हो गया। बिजली कड़कने लगी, तेज़ बारिश होने लगी।

अमीरचंद मन ही मन सोचा- लगता है रामलाल का अंतिम समय आ गया है।

वह रामलाल को अपनी गाड़ी से नीचे उतार दिया और आगे बढ़ गया। अमीरचंद अभी रामलाल से सौ कदम आगे बड़ा ही था की उसकी गाड़ी पर आसमानी बिजली आ गिरी।

पलक झपकते ही अमीरचंद बिजली से झुलस कर भगवान को प्यारा हो गया।

कहानी की सीख-

तक़दीर में जो लिखा है वह हो कर रहेगा चाहे इंसान लाख कोशिश कर ले उसे बदल नहीं सकता।

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