सोने के अण्डे

झोपड़पट्टी में रहने वाली गरीब की रक्षाबंधन त्यौहार

एक गाँव में एक ग़रीब किसान अपनी पत्नी राधिका के साथ रहता था।

बेचारा किसान रोज़ दिन भर खेत में काम करता था। दिन भर जो कमाता उसी का राशन ले आता था। फिर उसके घर ख़ाना पकता था।

किसान बहुत मेहनती था और संतोषी आदमी था। उसके पास जो भी था उसी में खुश रहता था। लेकिन उसकी पत्नी ठीक उल्टा लालची दिमाग़ की थी।

एक दिन शाम को घर वापस आया, लेकिन आज उसके पास ख़ाना पकाने के लिए राशन नहीं था।

राधिका पूछी आज राशन नहीं लाए क्या? अब मैं क्या पकाऊँ हम लोग क्या खाएँगे?

किसान उदास होकर बोला आज मुझे कोई काम नहीं मिला इसलिए कुछ कमाई नहीं हुई तो राशन कैसे लाता?

रसोई में केवल चावल ही थे। राधिका चावल पकाने ही जा रही थी। तभी घर के बाहर से मुर्गी की आवाज आई।

किसान खुश हो गया। दौड़ कर बाहर गया थोड़ी मशक़्क़त के बाद उसने मुर्गी को पकड़ लिया।

खुश होकर घर लाया। मुर्गी को देख कर राधिका भी खुश हो गई।

सोने का अंड्डा

किसान जैसे ही मुर्गी को काटने गया मुर्गी बोल पड़ी उसने कहा मुझे मत मारो अगर तुम मुझे नहीं मारोगे मैं तुम्हारी मदद करूँगी।

यह सुनते ही राधिका बोली अरे तुम इसकी बातों में मत आओ मुझे लगता है ये जान बचाने के लिये नाटक कर रही है।

ये मुर्गी हमारी क्या मदद करेगी? मुर्गी बोली अगर तुम मुझे छोड़ दोगे मैं तुम्हें रोज़ एक सोने का अण्डा दूँगी।

उसकी बात पर दोनों को विश्वास नहीं हो रहा था। मुर्गी फिर से बोली तुम्हें विश्वास नहीं है तो आज भर मुझे छोड़ दो अगर मैं कल सुबह तुम्हें सोने का अण्डा नहीं दी तो मार देना।

अभी भी राधिका को विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन किसान उसकी बात मान कर मुर्गी को पिंजड़े में बंद कर दिया।

अगली सुबह राधिका सोकर उठी और सीधे मुर्गी के पास गई। और सच में सोने के अण्डे देखकर उसकी आँखें चमक उठी।

उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। सोने का अण्डा उठाया और सीधे अपने पति के पास आई। वह भी देखते ही चौक गया। दोनों बहुत खुश हुए।

किसान तैयार होकर अण्डा बेचने शहर गया। उसको अण्डे की बहुत अच्छी कीमत मिली। दोनों बहुत खुश थे।

दोनों मुर्गी की खूब सेवा करते और हर दिन एक सोने के अण्डे शहर जाकर बेचते। इनकी तो पूरी ज़िंदगी ही बदल गई थी। अब वे गाँव के सबसे अमीर व्यक्ति थे।

एक दिन सुबह किसान अण्डा बेचने गया। उसकी लालची पत्नी ने सोचा हम रोज़ एक अण्डे के लिए सुबह तक इंतज़ार करते है।

अब मुझसे इतना इंतज़ार नहीं होता। आज मैं मुर्गी को मार देती हूँ और उसके पेट से सारा ख़ज़ाना निकाल लेती हूँ। एक ही दिन सारा ख़ज़ाना मिल जाएगा। हम और अमीर हो जाएँगे।

हमे रोज़ इंतज़ार भी नहीं करना पड़ेगा। इतना सोच कर उसने मुर्गी को मार दिया।

लेकिन उसे मुर्गी के पेट से कोई ख़ज़ाना नहीं मिला। वो अपना सिर पीटने लगी।

थोड़ी देर बाद किसान भी अण्डा बेच कर आ गया। उसने देखा कि मुर्गी मरी पड़ी है। मुर्गी को मरा देख उसके पाँव से ज़मीन खिसक गई।

राधिका से पूछा मुर्गी को किसने मारा? राधिका सारी बात बताई। किसान सिर पकड़ लिया।

अपनी पत्नी की इस बेवक़ूफ़ी पर बोला। तुम्हारे लालच की वजह से आज हम बर्बाद हो गये।

जीवन में जो मिला है उसी से संतुष्ट रहना चाहिए। “लालच बुरी बला होती है”

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