अनाथ मुन्ना की कावड़ यात्रा ❤️

मुन्ना एक पंद्रह साल का अनाथ बच्चा था। बचपन में ही उसके माता पिता का देहांत हो गया था। वह गणेश की मिठाई कि दुकान पर काम करता था। मुन्ना उम्र के हिसाब से बहुत बुद्धिमान और ईमानदार था। वह शिव जी का भक्त भी था।

हर सुबह नहा धो कर पहले वह मंदिर जाकर शिव जी पूजा करता था। उसके काम से सभी खुश रहते थे। वह अपना काम पूरी ईमानदारी से करता था। गणेश की दुकान एक बस अड्डे पर थी। जो भी बस वहाँ आती थी मुन्ना सबको चाय पिलाता था।

एक दिन गणेश मुन्ना से बोला- सावन का महीना चल रहा है इस बार मैं जल लेने हरिद्वार नहीं जा पाऊँगा। तुम कालू की बस में बैठकर हरिद्वार चले जाओ और वहाँ से गंगा माँ का जल ले आओ। मैं अपने पास वाले शिव मंदिर में जल चढ़ा दूँगा।

अगले दिन सुबह मुन्ना कालू की बस में बैठकर हरिद्वार जाने लगा। कुछ दूर जाते ही उसने देखा की ढेर सारे कावड़िये शिव जी का नाम लेते लेते पैदल हरिद्वार जल लेने जा रहे थे। उनको देख मुन्ना बहुत ख़ुश हो रहा था। तभी अचानक वह देखता है कि एक बूढ़ा व्यक्ति लड़खड़ाते हुए कावड़ ले जा रहा था।

मुन्ना कालू से बस रोकने के लिए कहता है। बस रुकते ही जल्दी से उतर कर बूढ़े व्यक्ति के पास जाकर उन्हें सहारा देता है और कहता है- दादा जी इस उम्र में आप कावड़ यात्रा पर क्यों जा रहे है?

बूढ़ा व्यक्ति बोला- बेटा मैं अपनी पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए जल लेने जा रहा हूँ। उसकी इच्छा थी की वह एक बार कावड़ लेने जाये लेकिन वह कभी नहीं जा पाई और उसका देहांत हो गया। मेरा एक बेटा है जो विदेश रहता है। उसको इन सब चीजो में विश्वास नहीं है। वह तो अपनी माँ के अंतिम संस्कार में भी नहीं आ पाया। मुझे कैसे भी यह यात्रा पूरी करनी ही है नहीं तो मेरी पत्नी की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी।

मुन्ना बोला – दादा जी आप अपनी कावड़ मुझे दीजिए और अपना पता दीजिए मैं आपके लिये जल लाऊँगा और आपके पते पर पहुँचा दूँगा। आप उस बस में बैठ जाइए जिससे मैं आया हूँ। हरिद्वार पहुँच कर गंगा स्नान कर मेरा इंतज़ार करियेगा तब तक मैं सभी कवड़ियों के साथ वहाँ आ जाऊँगा।

बूढ़े व्यक्ति की आँखों में आँशु आ गये। उसने मुन्ना को अपना पता दिया और बस में बैठकर हरिद्वार चला गया।

उधर मुन्ना बाक़ी कावड़ियों के साथ जय भोले, बोल बम के नारे लगाते हुए कब हरिद्वार पहुँच गया उसे पता ही नहीं चला। जैसे भोलेनाथ स्वयं उसके साथ चल रहे हो।

मुन्ना हरिद्वार पहुँचने के बाद गंगा स्नान किया और कावड़ में जल भरके, दिये हुए पते पर चलना प्रारंभ कर दिया। और शिव जी का नाम लेते लेते वह दिये हुए पते पर पहुँच गया।

थोड़ा सा गंगा जल गणेश के लिए रख कर, सारा जल बूढ़े व्यक्ति को दे दिया। दोनों मिलकर शिव जी को जल चढ़ाते है।

बूढ़ा व्यक्ति बहुत अमीर था उसका बहुत बड़ा व्यापार था। वह मुन्ना से बोला- तुम ग़ैर होकर भी बेटे का फर्ज निभाये हो। आज से तुम मेरे बेटे हो अब तुम मेरे साथ ही रहो।

मुन्ना ये बात सुनकर क्या बोले कुछ समझ नहीं पा रहा था।

फिर बूढ़े व्यक्ति ने कहा – तुम गणेश कि दुकान पर काम करते हो, मैंने गणेश से तुम्हें गोद लेने की बात कर ली है। गणेश और बाक़ी सब लोग जो तुम्हें जानते है सब तैयार है।

थोड़ी ही देर में गणेश का कालू ड्राइवर भी वहाँ आ गया। गणेश ने भी मुन्ना को उनके साथ रहने को कहा।

मुन्ना बहुत खुश हुआ। भोले बाबा की कृपा से मुन्ना को घर मिल गया। बूढ़ा व्यक्ति सभी सरकारी नियमों के अनुसार मुन्ना को गोद ले लिया। सभी लोगो ने मुन्ना के उज्जवल भविष्य की कामना कर उसे विदा किया। सब लोग बहुत खुश थे कि अनाथ को घर मिल गया।

मुन्ना बुद्धिमान तो था ही उसने जल्दी ही अपने पिता का पूरा कारोबार सम्भाल लिया। दोनों ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे।

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