गोबर्धन पूजा : क्या और कैसे – पुर्वांचल उत्तर प्रदेश में कैसे मानते हैं ?

गोबर्धन पूजा
गोबर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्योंहार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के पहले चंद्र दिवस पर पड़ता है।

इसके अगले दिन भाईदूज का त्योंहार आता है। यह दोनों त्योंहार उज्ज्वल पखवाड़े में पड़ता है।

इस दिन गोबर्धन पर्वत की पूजा होती है, साथ ही अन्नकूट की पूजा पर्वत की परिक्रमा के साथ किया जाता है। यह घटना भागवत पुराण में कृष्ण के बाल्यावस्था की लीला गोवर्धन पर्वत से जुड़ी हुई है।

यह त्योंहार पूरे भारत और विदेशों में हिंदु द्वारा मनाया जाता है।

  • पर्व का नाम – गोवर्धन पूजा, अन्नकूट
  • 2023 की दिन, तारीख – 13 नवम्बर, सोमवार

अन्नकुट और गोबर्धन पूजा क्यों किया जाता है?

भागवत पुराण के अनुसार गोवर्धन पर्वत के आस- पास रहने वाले वनवासी बारिश और तूफान के देवता इंद्र की पूजा करते थे। लेकिन कृष्ण भगवान को यह मंजूर नही था। वह चाहते थे कि गोवर्धन पर्वत की पुजा होनी चाहिए।

क्योंकि गोवर्धन पर्वत गाँव वाले को प्राकृतिक संसाधन, पेड़ से ऑक्सीजन, पशु के लिए चारा, भोजन और प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करती थी।

लेकिन गोकुल शहर में पहाड़ प्राकृतिक घटनाओं के लिये जिम्मेदार था। कृष्ण उम्र में बहुत छोटे थे। फिर गिवर्धन पर्वत की पूजा की बात सभी सहमत थे।

सभी गोकुलवासी पूजा करने पर्वत पर चले गए। इस बात से इंद्र बहुत गुस्सा हुए और इतना बारिश व् तूफान लाये, फिर भी पूजा नही रोक पाये।

तभी प्रभु कृष्ण ने अपने कनिष्ठ अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा कर सभी गोकुलवासियों और पशुओं की रक्षा करते है।

तब से गोवर्धन पर्वत की पूजा होना शुरू हो गया। इस दिन अन्नकूट (अन्नकूट का मतलब अन्न ‘अनाज’ कूट ‘बना’ अनाज से बना बनाया खाना) का पूजा किया जाता है।

सभी प्रकार के भोजन बना कर गोवर्धन पर्वत को चढ़ाये या अर्पित किये जाते है, उसके बाद उसको प्रसाद के रूप में लोगो को दिया जाता है।

गोवर्धन पूजा कैसे करते है?

दीपावली के अगले दिन गोबर्धन पूजा और अन्नकूट का त्योहार होता है। इस दिन महिलायें व्रत रहती है।

जमीन पर गौ के गोबर से एक गोठ तैयार किया जाता है, जिसके अंदर लेटे हुयें पुरुष (भगवान कृष्ण) की चित्र बनाते है। पत्ती, घास, गाय का दूध और मिट्टी के दीये से सजा देते है। फ़िर दीपक जलाकर बताशे या मिठाई चढ़ा कर भगवान गोवर्धन की पूजा करते है।

हमारे गाँव का गोबर्धन पूजा ! उत्तर प्रदेश पूर्वांचल गाज़ीपुर क्षेत्र मरदह

  • गोवर्धन पूजा के दिन हमारे यहाँ गौ माता के गोबर से जमीन को लिप कर उसके चारों किनारें पर गोबर से बना कर पिंड से घेर देते है।
  • उसके बाद उसके अंदर गाय माता के गोबर से चाकी, सर्प, ओखली, मूसर, गाय के बछड़े और गोधन बाबा का चित्र बना बनाते है।
  • फिर सभी औरतें चावल का दाना मिठाई ( घरिया ) बर्तन में लेकर घेरे के किनारे बैठ कर पूजा करती है।
  • जब पूजा खत्म हो जाता है तो गाय माता के दूध और कच्चे चावल से गोधन बाबा के ऊपर गिरा के एक मूसर से कूटती हुई पूजा करती है।

धन्यवाद !

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